क्रय केंद्रों पर लटके ताले, भटक रहे किसान
जौनपुर: जनपद के किसान धान बेचने के लिए भटक रहे हैं और एक माह पूर्व ही धान की खरीद बंद कर दी गई। जिम्
जौनपुर: जनपद के किसान धान बेचने के लिए भटक रहे हैं और एक माह पूर्व ही धान की खरीद बंद कर दी गई। जिम्मेदार लोगों की लापरवाही कहें या व्यवस्था में खामी। कई केंद्रों पर रविवार को भी किसान ट्रैक्टर ट्राली में धान लादकर कर्मचारियों के इंतजार में डेरा डाले रहे।
शासन के निर्देश के बाद भी जनपद में क्रय केंद्रों के निर्धारण में भारी लापरवाही बरती गई। इसके चलते जनवरी माह तक केंद्र बनाए गए। केंद्र बनने के बाद भी किसानों की समस्या कम नहीं हुई। क्रय केंद्रों के प्रभारी तरह-तरह का बहाना बनाकर खरीद नहीं कर रहे थे। नए शासनादेश के तहत एक माह पूर्व ही खरीद बंद कर दी गई और किसान धान बेचने के लिए भटक रहे हैं। इसका परिणाम है सरपतहां क्षेत्र के सरायमोहिद्दीनपुर का धान क्रय केंद्र। जहां लगभग पांच ट्रैक्टर ट्राली धान लेकर किसान कई दिनों से बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी फरियाद को जिम्मेदार लोग अनसुनी कर दे रहे हैं।
खरीद के आंकड़े पर गौर करें तो 30 जनवरी तक 47 हजार मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 24318.63 मीट्रिक टन खरीद की गई जिसमें मार्के¨टग के पांच केंद्रों पर दस हजार लक्ष्य के सापेक्ष 15439 मीट्रिक टन, पीसीएफ के 53 केंद्रों पर 22 हजार मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष 1060 मीट्रिक टन, यूपी एग्रो के एक केंद्र पर 500 मीट्रिक टन के सापेक्ष 896 मीट्रिक टन, यूपीएसएस के तीन केंद्रों पर 3500 मीट्रिक टन के सापेक्ष महज 686 मीट्रिक टन, एनसीसीएफ के सात केंद्रों सात हजार मीट्रिक टन के सापेक्ष 5884 और एफसीआई के एक केंद्र पर तीन हजार मीट्रिक टन के सापेक्ष 252 मीट्रिक टन खरीद हुई। सूत्रों के अनुसार अंतिम दिन लगभग दो हजार मीट्रिक टन और खरीद हुई। जिसे मिलाकर लगभग 54 फीसद ही लक्ष्य के सापेक्ष खरीद हुई।
किसानों का 2.55 करोड़ बकाया
धान की खरीद 31 जनवरी को बंद कर दी गई है। किसान भुगतान के लिए केंद्रों का चक्कर काट रहे हैं। पीसीएफ को 55 लाख और एनसीसीएफ को दो करोड़ रुपये भुगतान करना है। उप संभागीय विपणन अधिकारी आरबी प्रसाद ने बताया कि भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। शीघ्र ही किसानों को पैसा मिल जाएगा।
एफसीआई नहीं ले रहा चावल
जनपद के राइस मिल मालिकों को 60 हजार ¨क्वटल चावल देना है लेकिन भारतीय खाद्य निगम गोदाम भरा होने का हवाला देते हुए चावल नहीं ले रहे है जबकि सरकारी चावल हर हाल में 28 फरवरी तक देने का शासनादेश है। उच्चाधिकारी समय रहते इस साल भी हस्तक्षेप नहीं करेंगे तो गत वर्ष की तरह चावल की रिकवरी के लिए मिल मालिकों पर मुकदमा करना पड़ेगा। एफसीआई के नखरे के चलते पिछले साल राइसमिलों से चावल नहीं लिया गया। खराब होने पर मिलों को काली सूची में डालते हुए रिकवरी हेतु मुकदमा दर्ज कराया गया है।
गोदाम भरा, पंजाब से मंगाया जा रहा चावल
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कार्ड धारकों को हर माह 90 हजार ¨क्वटल चावल वितरित किया जाता है जिसके लिए भारतीय खाद्य निगम पंजाब से चावल मंगा रहा है जबकि उसका एक लाख ¨क्वटल क्षमता वाला कीर्तापुर गोदाम भरा पड़ा है। गोदाम के चावल को बांट दिया जाता तो 18 राइस मिलों के यहां पड़ा 60 हजार ¨क्वटल चावल जमा हो जाता।