ध्यान-प्राणायाम से छात्रों की कार्यक्षमता में निखार संभव
जौनपुर: शिक्षक और छात्र ही किसी भी राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तां
जौनपुर: शिक्षक और छात्र ही किसी भी राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित करने के सबसे सशक्त माध्यम होते हैं इसलिए भारत की प्राचीन विद्या ध्यान और प्राणायाम को सभी विद्यालयों में नियमित कराकर प्रत्येक शिक्षक स्वयं के साथ-साथ छात्रों की कार्य क्षमता में निखार ला सकते हैं।
उक्त बातें पूर्व माध्यमिक विद्यालय, कबीरुद्दीनपुर में छात्रों के लिए चलाये जा रहे विशेष योग प्रशिक्षण शिविर में शुक्रवार को खंड शिक्षाधिकारी ममता सरकार ने कही। प्रशिक्षण का प्रारंभ प्रशिक्षक अचल यादव ने छात्रों को सूर्य नमस्कार और योगिंग-जागिंग कराकर किया। प्रशिक्षक ने छात्रों को भस्त्रिका, कपाल भांति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी तथा उद्गीथ का अभ्यास कराते हुए ध्यान की एक विशेष प्रक्रिया का अभ्यास कराया।
प्रधानाध्यापक मजाहिर आलम, प्रशिक्षक लालजी तिवारी ने बताया कि योग ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा बच्चों के बचपन को आसानी से बचाया जा सकता है।
इस मौके पर ग्राम प्रधान श्याम बिहारी, श्रीमती सावित्री देवी, उषा देवी, विजय, कामेश्वर, आनंद, गोमती का सहयोग सराहनीय रहा।