सर पीट के जैनब ने कहा दे के दुहाई ऐ औनो मुहम्मद
जौनपुर: पांचवीं मोहर्रम इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब के बेटों हजरत औन व मुहम्मद की शहादत से मंसूब है
जौनपुर: पांचवीं मोहर्रम इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब के बेटों हजरत औन व मुहम्मद की शहादत से मंसूब है। इस दिन 'सर पीट के जैनब ने कहा दे के दुहाई ऐ औनो मुहम्मद' का नौहा जब मातमी अन्जुमनों ने पढ़ा तो लोग दहाड़े मारकर रोने लगे। हाय हुसैन की आवाज सदाओं में गूंजने लगी।
पांचवीं मोहर्रम के अवसर पर गुरुवार को चहारसू इमामबाड़ा से उठकर जुलूस कल्लू के इमामबाड़े से होता हुआ अपने कदीमी रास्तों से गुजरता हुआ बाबू राम प्रधान के घर के सामने गली से होता हुआ पुन: इमामबाड़े में आकर समाप्त हुआ। जुलूस के रास्ते में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अलम को चूम कर मन्नतें मांगी और जिनकी मन्नत गत वर्ष पूरी हो गई थी उन्होंने अलम पर फूल चढ़ाए एवं मीठे पकवानों को नज्र कराया। जुलूस के पहले मजलिस में बताया गया कि अगर हम इमाम हुसैन अ.स. के बताए हुए रास्ते पर चलते हैं तो ऐसा करके हम इंसानियत का सबूत देते हैं। गम-ए- हुसैन में शामिल होना इंसानियत की दलील है। जुलूस के साथ नौहा मातम करते हुए अंजुमन जाफरी मखदूम शाह अढ़न ने किया। इस मौके पर जिशान रिजवी, तहसीन शाहिद, शहजाद, शोएब जैदी, अजादारी काउंसिल महासचिव मिर्जा जावेद, तालिब रजा, शकील एडवोकेट, शौकत मुन्ना अकेला आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
इसी क्रम में पांचवीं मोहर्रम पर पुरानी बाजार के छतरी घाट से जुलूस जुलजुनाह निकाला गया। जुलूस के साथ अंजुमन जुल्फेकारिया नौहा व मातम करती हुई जब इमामबाड़ा दालान मीर बहादुर अली पर पहुंची तो वहां से एक तुरबत कल्वे हसन के नेतृत्व में निकाली गई। जिसे जुल जुनाह से मिलाया गया। अंजुमन जुल्फेकारिया व गुलशने इस्लाम ने नौहा व मातम किया। जुलूस जब कोठियावीर पहुंचा तो वहां इमामबाड़ा स्व. इब्ने हसन से झूला अली असगर व अलम ताबूत निकाला गया। जुलूस के साथ कल्वे हसन, मुन्ना, एहतेशाम, मो. अनीस, मो. शमीम, अकबर राजा के अतिरिक्त मरकजी मोहर्रम कमेटी के अध्यक्ष सै. शहंशाह हुसैन रिजवी, हाजी असगर हुसैन जैदी, अली मोहम्मद बहादुर, शब्बीर हसन जेडी, सै. अलमदार रिजवी, असगर मेंहदी, तकी हसन आदि मौजूद रहे।
नगर के मुफ्ती मोहल्ला इमामबाड़ा शाह अली जब्बाद से जुलजनाह बरामद हुआ। अंजुमन सज्जादिया ने नौहा मातम किया। मजलिस को मुब्बशिर रिजवी ने संबोधित किया। इमामबाड़ा शाह अबुल हसन झंडारी ने मौलाना कामिल ने मजलिस पढ़ी। जुलूस में नईगंज, इमामबाड़ा छतरीघाट, कचगांव, सैदनपुर, बड़ागांव, भादी आदि ग्रामीण अंचल के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए।