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मादरडीह टीले की खोदाई में मिला अन्नागार

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 07:57 PM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 07:57 PM (IST)
मादरडीह टीले की खोदाई में मिला अन्नागार

मुंगराबादशाहपुर (जौनपुर): पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए मंगलवार को मादरडीह टीले की फिर खोदाई हुई जिसमें कई पुराने अवशेष मिले। इनमें सुरक्षा के लिए उपयोग में आने वाला लोहे का बना भाला एवं बड़े आकार वाला मिट्टी से बना अन्नागार आदि शामिल हैं। इस दौरान तृतीय, पांचवें एवं नौवें स्तर पर मिले चूल्हे से संकेत मिलते हैं कि अलग-अलग कालों में यहां मानव बस्तियां आबाद थीं। प्राप्त अवशेष छठीं शताब्दी ईसा पूर्व की संस्कृति के उत्कृष्ट नमूना हैं।

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खदान संख्या दो का उत्खनन 525 सेंटीमीटर सतह तक पहुंच गया है, जहां से उत्तरी काली चमकीली पात्र परंपरा के मृद भांड अवशेष के रूप में मिल रहे हैं। इसी सतह से सुरक्षा के लिए हथियार के रूप में लोहे का भाला मिला है जिसका उपयोग जंगली जानवरों एवं अन्य प्रकार के हमलावरों से सुरक्षा के लिए किया जाता रहा होगा। इसी स्तर से समुद्री सीप के बने कंगन, कड़ा आदि मिले हैं। खदान संख्या तीन की गहराई तीन सौ सेंटीमीटर पहुंच गई है जहां से मिट्टी का बना बड़े आकार का अन्नागार पूरी तरह सुरक्षित आकार में मिला है जिसमें दो से तीन क्विंटल अनाज का भंडारण किया जा सकता है। इसी स्थल पर तृतीय, पंचम एवं नवें स्तर पर चूल्हे के साक्ष्य मिले हैं जो अलग-अलग कालों में मानव बस्तियों के संकेत हैं।

पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी की पुरातत्व सर्वेक्षण टीम के निदेशक प्रोफेसर अनिल कुमार दुबे के निर्देशन में चल रहा उत्खनन कार्य कन्हैयालाल यादव, चंद्रशेखर, आशुतोष चौबे, रामबदन, अरुण कुमार आदि विशेषज्ञों की देखरेख में हो रहा है।


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