दिन में गर्मी रात को ओस, घाघ कहे बरसा सौ कोस
बदलापुर (जौनपुर) : सावन का महीना बीतने के कगार पर है किंतु आज तक एक बार भी जमकर बरसात नहीं हुई जिससे किसान चिंतित है कि कहीं उनकी गाढ़ी कमाई सूखे की भेंट न चढ़ जाए। क्योंकि घाघ के मुताबिक 'दिन में गर्मी रात को ओस, घाघ कहे बरसा सौ कोस' अर्थात जब दिन में मौसम गर्म और रात में ओस पड़े तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा सैकड़ों कोस दूर है अर्थात नहीं होगी। ऐसा ही मौसम देख किसान चिंतित हैं।
अब तो बुजुर्गो के जुबान पर ऐसी ही तमाम कहावतें 'रात दिना घमछाहीं घाघ कहै तब बरसा नाहीं' अर्थात यदि रात में आसमान स्वच्छ हो और दिन में बादल आते-जाते हों तो बरसात की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उपरोक्त कहावतें पूरी तरह मौसम विज्ञान पर सटीक बैठ रही हैं। जहां बरसात के दो माह बीत गए किंतु एक दिन भी झमाझम बरसात नहीं हुई। जिससे अधिकांश किसान धान की रोपाई से वंचित है क्योंकि बिजली जहां दगा दे चुकी है वहीं नहरों में धूल उड़ रही है। जिन लोगों ने धान की रोपाई भी कर दिया है वे भी चिंतित हैं कि कैसे धान की फसल हरी-भरी रहे। क्योंकि अब बरसात की बहुत उम्मीद नहीं रही। लोगों ने नहर में पानी छोड़े जाने व आपूर्ति सुचारु रूप से किए जाने की मांग किया है।