सावन भर उमड़ता है भक्तों का रेला
बदलापुर (जौनपुर): चंदापुर गांव में प्राचीन गौरीशंकर धाम क्षेत्रवासियों के अनंत आस्था का केंद्र है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं द्वारा पूजन-अर्चन किया जाता है। यहां की छटा व भीड़ सावन माह में और भी बढ़ जाती है जब पीत वस्त्रधारी कांवरियों का रेला उमड़ पड़ता है। श्रद्धालुओं को विश्वास है कि यहां मांगी गई मनौतियां भूतनाथ भोले बाबा अवश्य पूरा करते हैं।
मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व इस स्थान पर घना जंगल था। जहां चरवाहे अपनी गाय चराया करते थे। एक चरवाहे की गाय ने कई दिनों तक दूध नहीं दिया तो उसे आश्चर्य हुआ कि गाय खा-पी रही है और पूरी तरह स्वस्थ है, फिर भी दूध कहां जा रहा है। एक दिन उसने गाय का पीछा किया तो देखा कि गाय एक जगह खड़ी है और उसके थन से दूध अपने आप गिर रहा है। उसे बड़ा कौतूहल हुआ। उसने यह बात आस-पास के लोगों से बताई और फिर उस स्थान की तरफ लोग गए जहां देखा कि जमीन के नीचे कुछ काले रंग का है। खोदाई किया तो चमकता शिवलिंग निकला। फिर क्या था धीरे-धीरे लोग पूजन-अर्चन करने लगे। जहां सबसे पहले एक छोटे से मंदिर का निर्माण किया गया। लोगों का श्रद्धा-विश्वास बढ़ा तो मंदिर का रूप भी बढ़ता गया।
क्षेत्रवासियों ने चंदा इकट्ठा कर भव्य शिव मंदिर, धर्मशाला, पुजारी का आवास, यज्ञशाला, बजरंगबली का मंदिर आदि निर्माण करा दिया। यहां विशाल बरगद के पुराने पेड़ इतिहास की गवाही देते हैं। अब तो सावन मास, पुरुषोत्तम मास के अलावा प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक, रुद्राभिषेक होता रहता है। सावन में कांवरियों की विशेष भीड़ होने के चलते व्यवस्था विशेष रूप से की जाती है। मंदिर लगभग 10 बीघे परिक्षेत्र में फैला है। मंदिर के पुजारी रामदीन दास ने बताया कि यहां जो कुछ भी है वह क्षेत्रीय भक्तों की देन है। शासन-प्रशासन ने आज तक कुछ भी मदद नहीं दी। भोले बाबा जिनका कल्याण करते हैं वह भक्त ही यहां जमे रहते हैं।