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सच्चे मन से मांगी गई मनौती पूरी करते हैं बाबा

By Edited By: Published: Fri, 25 Jul 2014 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jul 2014 01:00 AM (IST)
सच्चे मन से मांगी गई मनौती पूरी करते हैं बाबा

तेजीबाजार (जौनपुर): परम पावन पवित्र सई नदी के उत्तरी तट पर स्थित बाबा करशूलनाथ मंदिर का पौराणिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मनौती मांगने वाले की मुराद बाबा जरूर पूरी करते हैं। पूरे श्रावण मास में मंदिर पर भक्तों का रेला लगा रहता है।

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इस शिव मंदिर की प्राचीनता के संबंध में कोई प्रमाणिक जानकारी आज तक नहीं मिल पाई है। क्षेत्र के बुजुर्ग इस मंदिर को पांच सौ वर्ष से पूर्व का बताते हैं। चूना-पत्थर से मंदिर और बगल में एक कूप का निर्माण किया गया है। कूप में लगे शिला पर संभवत: इस मंदिर की प्राचीनतम और निर्माण के संबंध में कुछ लिखा है। लेकिन इसे पढ़ने में पुरातत्व विभाग भी सफल नहीं हो सका है।

क्षेत्रवासियों की अगाध श्रद्धा इस मंदिर से जुड़ी है। सोमवार, शनिवार को यहां सैकड़ों भक्त जलाभिषेक के लिए इकट्ठा होते हैं। श्रावण मास में हजारों कांवरिया संगम से गंगा जल भरकर बाबा करशूलनाथ का जलाभिषेक करते हैं।

मंदिर की प्राचीनता के संबंध में एक प्राचीन कथा के अनुसार पांच सौ वर्ष पूर्व इस स्थल पर भर जाति का निवास और बड़ा जंगल था। उस समय सड़कों का विकास नहीं हुआ था। लोग नदी मार्ग से व्यापार करते थे। इसी दौरान मिर्जापुर का एक व्यापारी नदी मार्ग से नाव पर माल लेकर जा रहा था। रात्रि में इस स्थल पर विश्राम के लिए रुका तो उसे शंकर जी का स्वप्न आया कि मैं यहां हूं। सुबह व्यापारी ने ढूंढना प्रारंभ किया तो उसे शिवलिंग मिल गया। व्यापारी ने शिवलिंग को बाहर निकलवाने के लिए खोदाई शुरू किया लेकिन महीनों की खोदाई के बाद भी उसका आधार नहीं मिला तो उसी स्थान पर चूना-पत्थर से शिव मंदिर और बगल में उसी सामग्री से एक कूप का निर्माण कराया। मंदिर के शिखर पर स्वर्ण त्रिशूल स्थापित किया।

तब से आज तक इस मंदिर से लोगों की आस्था लगातार दृढ़ होती गई। 70 के दशक में वज्रपात से मंदिर का शिखर क्षतिग्रस्त हो गया। इसी दौरान स्वर्ण त्रिशूल गायब हो गया। ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। पूरे श्रावण मास में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।


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