प्रत्याशी की मौत ने पिछले लोस चुनाव में मचा दी थी खलबली
संजय सिंह
सिंगरामऊ (जौनपुर) : 13 अप्रैल 2009 को जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में इंडियन जस्टिस पार्टी के प्रत्याशी बहादुर सोनकर की मौत ने जहां प्रशासन की चूलें हिलाकर रख दी थी, वहीं शासन में खलबली भी मच गई थी। महज 8 घंटे में ही यहां का पिछला लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था।
पिछले लोकसभा चुनाव में जब इस तरह की घटना घटी तो पूरा माहौल ही बदल गया था। वहीं सभी दलों के उम्मीदवार चुनाव स्थगित होने को लेकर आशंकित थे। राजनीतिक दलों के समर्थक दो दिनों तक पूरी तरह ऊहापोह में रहे। प्रत्याशी अपने खर्च को लेकर परेशान थे कि इतना पैसा पानी की तरह बहा दिया अब अगर फिर से चुनाव होगा तो बड़ी मुश्किल होगा। फिलहाल प्रत्याशी हत्याकांड के बाद शासन ने त्वरित गति से कार्य किया। तत्काल मौके पर हेलीकाप्टर से एडीजी (सीबीसीआइडी) को पूरी टीम के साथ भेजा। वे घटना स्थल पर पहुंचकर पूरी चौकसी के साथ जांच में कई घंटे तक डटे रहे। उधर पुलिस की भूमिका को लेकर तरह-तरह के सवाल दागे जा रहे थे। तूफान आया, तूफान आया फिर थोड़े दिनों बाद शांत हो गया।
चुनाव स्थगन को लेकर सहमे रहे प्रत्याशी
23 अप्रैल को चुनाव होना था और 13 अप्रैल को ही इंजपा के प्रत्याशी बहादुर सोनकर की मौत हो गई। चुनाव अपने चरम पर था। प्रत्याशी पैसा पानी की तरह बहा रहे थे। इस घटना से सब भयभीत रहे। प्रत्याशी चुनाव स्थगन को लेकर डीएम एसपी चुनाव आयोग के चाबुक को लेकर, छोटे-बडे़ प्रशासनिक अधिकारी अपने आकाओं को लेकर। फिर भी चुनाव हुआ और इससे सभी का डर समाप्त भी हो गया।
अंत्येष्टि में लगा था नेताओं का जमघट
सभी राजनैतिक पार्टियों के प्रत्याशी घटना के बाद पोस्टमार्टम हाउस से राम घाट तक ऐसे जुटे रहे मानो उन्हें अपनी जीत का आधार मिल गया हो। वहां पूरे समय तक नेताओं की भारी भीड़ रही। लोग एक स्वर में घटना की निंदा करने में लगे थे। फिलहाल वक्त बदला, चुनाव हुआ किसी का टेम्पो हाई हुआ तो कोई पराजित हुआ।
पिछला चुनाव इस घटना के कारण राष्ट्रीय फलक पर था इस बार कुछ खास नहीं है।