आम के बौर में कीटों के प्रकोप का खतरा
जौनपुर: मौसम में आए अचानक बदलाव से आम के बौर में कीटों के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है वहीं नमी व बदली के चलते दलहनी व तिलहनी फसलों को भी नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। कृषि विज्ञानियों ने सतर्कता रखते हुए रोग का लक्षण दिखते हुए कीटनाशी दवाओं के छिड़काव की सलाह दी है।
विदित हो कि मकर संक्रांति के बाद मौसम साफ होते ही तापमान में वृद्धि हो गई। जिससे आम के पेड़ों में बौर आना शुरु हो गया है। जिससे देखकर बागवानों में खुशी रही। वहीं शनिवार को अचानक मौसम परिवर्तित हो गया। आसमान में बादल के साथ ही तापमान काफी गिर गया।
बीएचयू के उद्यान विशेषज्ञ डा. एसपी सिंह ने कहा कि बदली का मौसम आम की फसल के लिए काफी खतरनाक होता है। मौसम में नमी के कारण मैंगोमिलीबग कीट का प्रकोप तेज हो जाता है। इससे अंडे से छोटे-छोटे बच्चे निकलकर पौधों पर चढ़ जाते हैं और पत्तियां व तना लासा से ढंक जाता है। इतना ही नहीं पत्तियों के ऊपर काला खर्रा रोग लगने से पेड़ों को पर्याप्त खुराक भी नहीं मिल पाती है जो अफलत का कारण बनता है।
डा. सिंह ने सलाह दी है कि इस रोग से बचाव के लिए बागों की साफ-सफाई के साथ ही थाले की गुड़ाई कर दें। इसके बाद तने को फीट ऊपर एक फीट प्लास्टिक की पन्नी पेड़ों में बांध दें। इसके बाद पन्नी के दोनों किनारों पर गीली मिट्टी का लेप लगा दें। कीटों से बचाव के लिए डाई मेथोएट डेढ़ से दो मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। इसके दस दिन बाद प्लेनोफिक्स या टैगफिक्स दो मिलीमीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। इससे बौर अच्छा आता है और फल अच्छी तरह सेट हो जाता है।
कृषि विज्ञान केंद्र के अवकाश प्राप्त विज्ञानी डा. टीएन सिंह ने कहा कि इस मौसम में पिछैती सरसों में माहो कीट, मटर में बुकनी रोग, अरहर और चना में फली छेदक कीटों का विस्तार हो सकता है। ऐसी दशा में किसानों को विशेष एहतियात बरतनी होगी। सलाह दिया कि रोग का लक्षण दिखते ही कीटनाशी दवाओं का तुरंत छिड़काव करें।
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