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तमाम परिवार अभी भी खुले में जाते शौच

उरई, जागरण संवाददाता : स्वच्छता के लिए भरसक प्रयास किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहर

By Edited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 08:21 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2016 08:21 PM (IST)
तमाम परिवार अभी भी खुले में जाते शौच

उरई, जागरण संवाददाता : स्वच्छता के लिए भरसक प्रयास किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहर से लेकर गांवों तक में साफ सफाई के लिए अभियान भी छेड़ा है। साथ ही घर घर में शौचालय बनवाये जाने के लिए जोर दिया जा रहा है। शहर व गावों में शौचालय बन भी रहे हैं। शहर में खुले में शौच जाने की समस्या कम ही है लेकिन मलिन बस्तियों में अभी भी बहुत से लोग खुले मैदानों और रेलवे लाइन के किनारे शौच करने को जाते हैं। ग्रामीण अंचल में शौचालय बनाने का अभियान तो चल रहा है लेकिन जिनके यहां शौचालय बने भी तो वह लोग भी खुले में शौच जाने का ढर्रा नहीं बदल रहे हैं। हालांकि पहले की अपेक्षा अब कुछ जागरूकता बढ़ी है जिससे गांवों में भी बहुत से लोग शौचालयों का प्रयोग करने लगे हैं।

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खुले स्थानों पर मल त्याग करने से गंदगी तो रहती ही है साथ ही तमाम तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं। जिसको देखते हुए स्वच्छता की अलख जगाई जा रही है। लोग खुले में शौच करने न जायें इसके लिए हर घर में शौचालय बनाने की सपना साकार करने की कवायद हो रही है। शहरी क्षेत्र में तेजी से बदलाव आया है जिससे अधिकांश घरों में शौचालय बन गये हैं। शुष्क शौचालय भी अब नहीं दिखाई देते हैं लेकिन मलिन बस्तियों में बहुत से परिवारों को अभी भी खुले स्थानों पर शौच के लिए जाना पड़ता है। रेलवे लाइन किनारे या फिर सड़क के किनारे शौच करना इनकी मजबूरी है। शहर के मोहल्ला उमरार खेरा, शांति नगर और लहरियापुरवा आदि मोहल्लों में स्थित मलिन बस्तियों के कई परिवारों में शौचालय नहीं बने हैं। ग्रामीण अंचल में भी हर घर में शौचालय बनाये जाने के लिए कवायद जारी है लेकिन तमाम घरों में शौचालय होने के बाद भी लोग खुले में शौच करने को जाते हैं। हालांकि समय को देखते हुए अब पहले की अपेक्षा लोगों में बदलाव दिखाई दिया है। तमाम लोग शौचालयों का प्रयोग करने भी लगे हैं लेकिन गांवों में बड़ी तादाद में अभी भी शौचालयों की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है।

मलिन बस्तियों में बनेंगे सुलभ शौचालय

शहर में अधिकांश घरों में शौचालय बन चुके हैं। मलिन बस्तियों में कुछ समस्या है। इन बस्तियों के लिए सुलभ शौचालय बनवाये जाने की योजना है। अधिशाषी अधिकारी र¨वद्र कुमार का कहना है कि जिनके यहां जगह है वहां तो शौचालय बनवा दिए जाते हैं लेकिन मलिन बस्तियों में तमाम लोगों के पास जगह का अभाव रहता है। जिसके लिए योजना बनाई गयी है कि बस्ती के लोग जगह ¨चहित कर बता दें तो वहां पर सुलभ शौचालय बनवा दिए जायें। इसके लिए बजट भी उपलब्ध है। कोई समस्या नहीं है। इस बार 3704 शौचालयों का लक्ष्य मिला है जिसमें 1672 आवेदनों को स्वीकृत किया जा चुका है।

गांवों के लिए 30 हजार शौचालय का लक्ष्य

जिला पंचायती राज अधिकारी मोहम्मद सरफराज आलम ने बताया कि गांवों में शौचालयों के लिए इस बार 30 हजार शौचालय बनाये जाने का लक्ष्य मिला है जिसमें से 9005 शौचालयों का पैसा मिला है। इतने शौचालयों का बजट ग्राम पंचायतों में भेजा जा चुका है। जैसे ही पैसा मिलेगा तो पैसा भेज दिया जायेगा। गांवों में शौचालय बनाने का काम तेजी से हो रहा है। अब लोगों में जागरूकता बढ़ी है।


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