संसाधन न खिलाड़ी, विभाग निभा रहा औपचारिकता
उरई, जागरण संवाददाता : कहना गलत नहीं होगा कि जिले में खिलाड़ियों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। ग्रामीण स
उरई, जागरण संवाददाता : कहना गलत नहीं होगा कि जिले में खिलाड़ियों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। ग्रामीण स्तर तक खेल गतिविधियां संचालित करने के लिए पायका योजना के तहत बजट निर्गत किया गया, परंतु प्रशिक्षण की तरफ ध्यान नहीं देने से प्रतिभा होने के बावजूद राष्ट्रीय पटल पर खिलाड़ी अपनी पहचान नहीं बना पा रहे हैं। जो खिलाड़ी पहुंचे भी हैं, उसमें उनकी अपनी लगन रही।
मॉर्निंग वॉक स्थल बना स्टेडियम
जिला मुख्यालय पर खेल गतिविधियां संचालित करने के लिए स्टेडियम तो हैं, लेकिन प्रशिक्षकों के अभाव में खिलाड़ियों को को¨चग नहीं मिल पा रही है। निजी टीमों के क्रिकेट मैच भले ही होते रहते हैं लेकिन राष्ट्रीय खेल हॉकी एवं फुटबाल के लिए तो इतने खिलाड़ी भी यहां पंजीकृत नहीं हैं कि एक डमी टीम भी तैयार हो सके। राष्ट्रीय खेल दिवस पर हाकी प्रतियोगिता के आयोजन की औपचारिकता के लिए भी स्कूली टीमों पर खेल विभाग निर्भर रहता है ।
दर्रे खा गया वालीबाल व टेनिस कोर्ट
खेल की सभी विधाओं के खिलाड़ी यहां तैयार किए जा सकें इसके लिए इंदिरा स्टेडियम में क्रिकेट, हाकी व फुटबाल का ग्राउंड तैयार करने के साथ वालीबॉल, टेनिस जैसे खेल के पक्के कोर्ट तैयार किए गए। परंतु घटिया निर्माण व उसका उपयोग नहीं होने की वजह से कोर्ट में इस कदर दर्रे हो गए हैं कि उनमें खेलते समय अब खिलाड़ी जख्मी ही हो जाएंगे। जिम्नास्टिक के खिलाड़ियों के लिए तो यहां जैसे अब कोई सुविधा ही नहीं बची है। संसाधन नहीं मिलने की वजह से खिलाड़ी बन मसोस कर रह जाते हैं।
दुर्दशा की गवाही कर रहा तरण ताल
जिले में तैराकी के खिलाड़ी तैयार होने की बेहतर संभावना है। इसी के मद्देनजर इंदिरा स्टेडियम में अगल अलग उम्र वर्ग के खिलाड़ियों के लिए दो तरण ताल बनाये थे। निर्माण में तकनीकी खामी की वजह से उनमें पानी का ठहराव नहीं हो पाया। पंद्रह साल से ज्यादा समय तरण ताल के निर्माण में हो चुका है। इस बार कई बार मरंमत के नाम पर लाखों रुपये का बजट खर्च कर दिया गया परंतु फिर भी वह दुरुस्त नहीं हो सका है। अब तो अधिकारी उसे चालू कराने में दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं।
जंग खा रही जिम की मशीनें
मैदान में खिलाड़ी बेहतर खेल दिखा सकें इसके लिये शारीरिक कसरत हेतु इंदिरा स्टेडियम में जिम भी स्थापित की गई थी, लेकिन वहां भी प्रशिक्षक की कमी आड़े आ गई। उपयोग नहीं होने की वजह से जिम की मशीनों में तो अब जंग तक लग चुकी है।
यह है गतिरोध
क्रिकेट के अलावा हाकी, फुटबाल, बैड¨मटन, टेनिस आदि खेलों के लिए अच्छे प्रशिक्षक नहीं होने की वजह से अब नये खिलाड़ी स्टेडियम की तरफ रुझान नहीं करते हैं। खेल को कैरियर की बजाए सिर्फ मनोरंजन और टाईम पास माना जाता है। अधिकारी भी खेल के गिरते स्तर को सुधारने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। नतीजतन मैदान खाली दिख रहे हैं।
यह हेैं समाधान
ग्रामीण स्तर तक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होना चाहिए। एक पड़ाव से दूसरे पड़ाव तक खिलाड़ियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इंदिरा स्टेडियम में नियमित तौर पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाए। जिला स्तर पर आकर्षक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित हों।
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खेल में सुनहरे कैरियर को देखने की जरूरत
खेल के क्षेत्र में सुनहरे कैरियर की असीम संभावनाएं हैं परंतु जरूरत है खिलाड़ियों को अच्छी को¨चग की। सही मार्गदर्शन नहीं मिलने वजह से प्रतिभा होने के बावजूद खेल के क्षेत्र में यहां के खिलाड़ी कैरियर नहीं बना पाते हैं। इसके लिए सरकारी तंत्र भी कम जिम्मेदार नहीं है। शैलेन्द्र ¨सह सेंगर, यूपी रणजी क्रिकेट टीम
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खेल की दशा सुधारने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है, खेल से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि दिमाग भी तरोजाता रहता है। डा. अनिल गुप्ता
ग्रामीण क्षेत्रों में तमाम खेल प्रतिभाएं छिपी हैं वे संसाधन के भी तलबगार नहीं है, सिर्फ मार्गदर्शन ही मिल जाए तो अपनी मेहनत से वे आसमान छू सकते हैं।विनय पाठक
इंदिरा स्टेडियम में बदहाल खेल संसाधनों के दुरुस्तीकरण पर ध्यान देने की जरूरत है। जिससे खिलाड़ी उसकी
तरफ आकर्षित हों।गिरीश चतुर्वेदी
क्या कहते हैं जिम्मेदार
जिलाधिकारी रामगणेश का कहना है कि जिले में खेल के आयोजनों को अच्छी तरह से आयोजित करने कराने एवं खिलाड़ियों को सुविधाएं प्रदान कराने के लिए जिला क्रीड़ाधिकारी उनके द्वारा आदेश जारी किया जाएगा। इसके बाद भी लापरवाही होती है तो कार्रवाई की जाएगी।