जीर्णशीर्ण हो गयी बारादरी
कोंच, संवाद सहयोगी : प्रशासन की उदासीनता का ही परिणाम है कि ऐतिहासिक ²ष्टि से महत्वपूर्ण राजा पृथ्वी
कोंच, संवाद सहयोगी : प्रशासन की उदासीनता का ही परिणाम है कि ऐतिहासिक ²ष्टि से महत्वपूर्ण राजा पृथ्वीराज की विश्राम स्थली बारादरी अपना अस्तित्व खोती जा रही है।
नगर के पश्चिमी छोर पर बड़ी माता मंदिर के ठीक सामने बनी बारादरी जिसे बारह खंभा भी कहा जाता है। अब जीर्णशीर्ण हो चुकी है। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब बारादरी महज अवशेष ही बनकर रह जायेगी। रातों रात बनायी गयी यह बारादरी के बारे में प्रचलित है कि इसका निर्माण दिल्ली सम्राट पृथ्वीराज चौहान के लिए एक रात में तैयार की गयी थी। पृथ्वीराज चौहान का आगमन ऐसे समय हुआ जब आल्हा ऊदल के मौसेरे भाई मलखान से उसका युद्ध हो गया था। सिरसा गढ़ में संपन्न हुए इस महायुद्ध में मलखान को वीरगति प्राप्त हुयी थी। पृथ्वीराज चौहान ने यह युद्ध जीत तो लिया था लेकिन वह इस युद्ध में बुरी तरह से घायल हो गये थे। उसके उपचार हेतु उसकी सेना पृथ्वीराज को कोंच ले आयी। चूंकि पृथ्वीराज देवी का बड़ा भक्त था इसलिए उसके विश्राम के लिए बड़ी माता के मंदिर के सामने की जगह चुनी गयी। रातों रात तैयार की गयी बारादरी में पृथ्वीराज ने कुछ समय तक विश्राम किया। यहीं बैठकर पृथ्वीराज ने अपने सामंत चामुंडा राय को कोंच का सामंत घोषित किया था। बारादरी अब अपने पुनर्निर्माण की जंग लड़ रही है। उत्कृष्ट कारीगरी के नमूने को दर्शाती यह बारादरी पर पहले पुरातत्व विभाग का बोर्ड लगा था लेकिन पुरातत्व विभाग ने कोई देखरेख नहीं की। स्थानीय प्रशासन ने भी इस बारादरी पर ध्यान नहीं दिया। अगर जल्द ही इसकी मरम्मत नहीं करायी गयी तो इसके अवशेष ही रह जायेंगे।