फसल की बर्बादी देख छलक रहे आंसू
महेबा, संवाद सूत्र : फसलों पर गाज बनकर हुई बारिश से किसान आंसू बहा रहे हैं। रंगों का पर्व भी कुदरत न
महेबा, संवाद सूत्र : फसलों पर गाज बनकर हुई बारिश से किसान आंसू बहा रहे हैं। रंगों का पर्व भी कुदरत ने बदरंग कर दिया है। पानी से फसल नष्ट हो जाने से किसानों के खेत देखकर आंसू छलक आते हैं।
किसानों का नया वर्ष चैत्र माह से शुरू होता है। चूंकि इस महीने किसानों के घरों में अनाज आने लगता है और बैशाख के अंत तक किसान माल बेचकर मालामाल हो जाता है। इसी पैदावारी से किसान साल भर का बजट तैयार करता है। शादी विवाह, कर्ज अदायगी सब रबी की फसल पर आधारित रहते हैं। कई वर्षो से कुदरत की मार सह रहे किसान इस वर्ष फसल अच्छी होने पर सुनहरे सपने संजोये बैठे थे। तीन दिन से रुक रुककर हो रही बरसात के साथ तेज हवाओं से फसल को अति क्षति पहुंची है। किसानों ने बताया कि महेबा, सरसेला, खैरई, बैरई, हर्रायपुर, गड़गुवां, शाहजहांपुर, मंगरौल, हीरापुर, मैनूपुर, उरकरा कला, निबहना, न्यामतपुर, दमरास, लौना, पिथऊपुर, चुर्खी, मुसमरिया, नूरपुर, खल्ला, खांखरी सहित पूरे क्षेत्र में पानी से भारी नुकसान हुआ है। फसलें बर्बाद होने से किसान आंसू बहा रहा है। वह खेत जाकर जब अपनी बर्बाद हुई फसल को देखता है ते उसके बरबस ही आंसू छलक आते हैं।