बंदूक थामने के बाद भी नहीं छुड़ा पाए कब्जे से जमीन
शिवकुमार सिंह जादौन, उरई
प्रतिशोध की आग में वर्ष, 1981 में जाति विशेष के 22 लोगों का सामूहिक नरसंहार कर चंबल यमुना बीहड़ पंट्टी के साथ दुनियां भर में कुख्यात हुई फूलन देवी अपने पिता के हिस्से की जिस तीन बीघा जमीन के टुकड़े को पाने की खातिर बागी हुई थी, उस पर आज भी उसके चचेरे भाई का कब्जा है। फूलन देवी की तरह ही देश के नंबर वन एथलीट रहे पान सिंह तोमर, जेल में बंद रामआसरे फक्कड़ और मारे जा चुके डकैत राजू सिंह की त्रासदी की पृष्ठभूमि दबंगों द्वारा उनके विरासत की जमीन पर अवैध कब्जे से शुरू हुई। जान हथेली पर लेकर बीहड़ में कूदे इन डकैतों को उद्देश्य हर हाल में अपनी जमीन को हासिल करने का था, अपराध का रास्ता अपनाने के कारण उनके लिए ये काम नामुमकिन हो गया।
दुनिया भर में बैंडिट क्वीन के नाम से कुख्यात हुई फूलन देवी कालपी थाना क्षेत्र के ग्राम गुढ़ा की निवासी थी। फूलन देवी के बागी बनने की कहानी उसके ताऊ मइयादीन द्वारा पिता के हिस्से की तीन बीघा जमीन पर अवैध कब्जा से शुरू हुई। फूलन के ताऊ मइयादीन का डकैतों से मिलना जुलना था। इस कारण उसके पिता मइयादीन उससे से डरते थे, लेकिन साहसी फूलन ने पैतृक जमीन छुड़ाने के लिए ताऊ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया यहीं से उसकी त्रासदी और फिर बुलंदी तक पहुंचाने की कहानी शुरू हुई, वर्ष, 1980 में गांव में पिता के सामने ही फूलन देवी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया इसके बाद प्रतिशोध की आग सीने में भरकर फूलन बागी बनकर बीहड़ में कूद गई। शुरू में वह बाबू सिंह गुर्जर गिरोह से जुड़ी, बाद में विक्रम मल्लाह ने उसका साथ दिया। विक्रम के मारे जाने के बाद वह खुद गिरोह की सरदार बन गईं। 14 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के बेहमई में धावा बोल फूलन देवी ने ठाकुर बिरादरी के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया। इस घटना ने दुनिया भर में उसे कुख्यात बना दिया। तीन साल बीहड़ में आतंक मचाने के बाद 12 फरवरी 1983 को फूलन देवी ने मध्य प्रदेश तत्कालीन मुख्यमंत्री के सामने समक्ष भिंड में गिरोह के साथ आत्म समर्पण कर दिया। बंदूक थामने के बाद फूलन जब तक चंबल में रही उसके भय से ताऊ ने जमीन पर कब्जा छोड़ दिया था। वह जेल गई तो ताऊ ने जमीन फिर कब्जा ली, वर्ष 1994 में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने पर वह जेल से बाहर आ गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फूलन देवी को पीड़ित का दर्जा देते हुए उसे सपा में शामिल कर लिया। वर्ष 1996 और 1999 दो बार फूलन देवी सांसद बनीं। फूलन सांसद हुई तो ताऊ के पुत्र ने उसकी जमीन पर कब्जा छोड़ दिया था, वर्ष, 2001 में फूल देवी की हत्या होते ही जमीन पर चचेरे भाई ने कब्जा कर लिया। फूलन कीमां मुला देवी दाने दाने को मुहताज। जमीन पर चचेरा भाई खेती कर रहा है।
पान सिंह तोमर : देश के नंबर वन एथलीट रहे और सेना में नौकरी से रिटायर हुए मध्य प्रदेश के मुरैना जनपद अंतर्गत ग्राम भिंडौसा निवासी पान सिंह तोमर की कहानी और भी हैरान करने वाली। 3000 मीटर की पानी बाधा दौड़ में अजेय रहे पान सिंह तोमर नौकरी से रिटायर होने और खेल से सन्यास लेने के बाद यह सोचकर गांव लौटा कि खेती कर वह स्वाभिमान के साथ जीवन गुजारेगा, लेकिन गांव लौटा तो पता चला कि उसकी जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर रखा। जमीन छुड़ाने के लिए पान सिंह तोमर ने कानून का सहारा लिया, देश के लिए कई तीन बार मेडल हासिल करने एवं सेना का रिटायर जवान होने के बावजूद अधिकारियों ने दबंगों के कब्जे से उसकी जमीन छुड़ाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। आखिरकार 1980 में पान सिंह तोमर बंदूक थामकर बीहड़ में कूद गया और अपना गिरोह संगठित कर लिया। देश का नंबर वन एथलीट और सेना का प्रशिक्षण प्राप्त पान सिंह तोमर पुलिस के लिए चुनौती बन गया। भिंड, मुरैना के अलावा जालौन, इटावा राजस्थान के धौलपुर के बीहड़ तक उसकी सक्रियता थी। हालांकि डेढ़ साल के भीतर ही 1 अक्टूबर 1981 को पान सिंह तोमर मध्यप्रदेश में 140 पुलिस कर्मियों की घेराबंदी में फंस कर मारा गया। उसके मारे के जाने के बाद रिश्तेदारों का उसकी जमीन पर हमेशा के लिए कब्जा हो गया।
राजू सिंह सतरहजू : 22 जुलाई 2008 को सिरसा कलार के बीहड़ में मुठभेड़ में मारे जा चुके डकैत राजू सिंह डकैत बनने के पीछे कथित छल से कब्जा की गई जमीन की कहानी है। पैसे की जरूरत पर भाई द्वारा गिरवी रखी गई जमीन पर दबंग ने कब्जा कर लिया। वह ब्याज समेत रकम लौटाने को राजी था इसके बावजूद उसकी 6 जमीन दबंगों ने नहीं छोड़ी, आखिरकार राजू सिंह बीहड़ में कूदकर निर्भय सिंह गुर्जर के गिरोह में शामिल हो गया। 8 साल तक जमीन छुड़ाने के लिए उसने कई अपहरण किए, लेकिन जमीन पाने अपने मंसूबे में वह कामयाब नहींहो पाया। राजू सिंह और उसके भाई सुरेंद्र सिंह को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया और उसकी जमीन पर आज भी दबंगों का कब्जा। इसके अलावा इसके अलावा जेल में बंद रामआसरे उर्फ फक्कड़ भी जमीन की रंजिश में बीहड़ में कूदने का मजबूर हुआ था।