क्राइम ब्रांच के एक इंस्पेक्टर निलंबित
उरई, जागरण संवादादाता : बढ़ते अपराधों के बीच जिले में क्राइम ब्रांच सार्थक परिणाम नहीं दे पा रही है। हालत यह है क्राइम ब्रांच के कई अफसर तो आफिस जाने की जरूरत नहीं समझते। पुलिस अधीक्षक ने सोमवार को ब्रांच लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ न सिर्फ जांच के आदेश दे दिया, बल्कि एक इंस्पेक्टर को निलंबित भी कर दिया। क्राइम ब्रांच की विभिन्न विंग के प्रभारियों से दो महीने के भीतर अपराध नियंत्रण की दिशा में उनके द्वारा की कई कार्रवाई की लिखित रिपोर्ट मांगी। संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर उन्हें दंडित किया जा सकता है।
क्राइम ब्रांच का गठन सनसनीखेज घटनाओं का जल्द अनावरण और जटिल विवेचनाओं का समय से निस्तारित होने की मंशा से किया गया था, मालदार थानों में चार्ज संभाल चुके अधिकारियों को क्राइम ब्रांच में शामिल किया गया तो उन्हें ऐसा लगता है कि उनका महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर उनका प्रमोशन नहीं हुआ है, बल्कि उन्हें दंडित किया गया है। यही वजह है कि क्राइम ब्रांच में अलग-अलग बिंग को प्रभारी पूरी ऊर्जा के साथ अपने दायित्व का निर्वहन नहीं करते। नतीजतन लंबे अर्से से क्राइम ब्रांच द्वारा कोई उल्लेखनीय सफलता अर्जित नहीं की। क्राइम ब्रांच की शिथिलता की झल्लाहट में पुलिस अधीक्षक राकेश शंकर ने सोमवार को क्राइम ब्रांच के आफिस का निरीक्षण किया। इंसपेक्टर रमेश बाबू गैरहाजिर मिले। जानकारी हुई कि वह अक्सर ड्यूटी से दूर रहते हैं। पुलिस अधीक्षक ने तत्काल प्रभाव से रमेश बाबू को निलंबित कर दिया है। क्राइम ब्रांच में आठ पुलिस अधिकारियों के बीच 12 विवेचनायें लंबे समय लंबित हैं। एक विवेचक पर दो विवेचना का भी औसत नहीं हैं। सात दिन में जो विवेचनाएं खत्म हो जानी चाहिए थी, महीनों से उनमें कोई प्रगति नहीं हुई है। इस लापरवाही को लेकर पुलिस अधीक्षक ने पूरी क्राइम ब्रांच के विरुद्ध जांच का आदेश दे दिया है है। दो महीने में किस प्रभारी ने क्या उल्लेखनीय कार्य कानून व्यवस्था सुधारने के लिए किया है, सभी को इसकी रिपोर्ट देनी होगी। पुलिस अधीक्षक राकेश शंकर ने बताया कि संतोषजनक उत्तर नहीं देने की स्थिति में क्राइम ब्रांच के सदस्यों को दंडित करने का काम किया जाएगा।