बदले मौसम से किसान चिन्तित
उरई, जागरण संवाददाता : मौसम की मार से किसान एक बार फिर बेहाल हो उठे। खेतों में रखे हुए चने, गेहूं सहित अन्य फसलों के बोझ गायब हो गए। तो अभी तक खेत में ही पड़ा हुआ गेंहू का भूसा भी हवा के साथ फुर्र हो गया।
ग्राम देवता को किसी ओर से राहत नही मिल पा रही है। पहले के महीनों में जहां अतिवृष्टि और ओलावृष्टि के चलते फसलों का भारी नुकसान हो चुका है। वहीं अब जो कुछ आस थी वह भी मौसम की बेरुखी से टूटी जा रही है। बुधवार की दोपहर को आई तेज हवाओं ने किसानों की आशाओं को हवा में ही उड़ा दिया। चैत के महीने में गेंहू की कटाई शुरू है। किसानों की महीनों की मेहनत सिमट कर अभी घर नहीं पहुंच पाई है। वहीं रबी के मौसम की फसल अभी खेतों में खड़ी है या कट के पड़ी है। जिसे समेटने की फिक्र में किसान रात दिन एक किए हुए है। कारण कि पूरे साल के दौरान लगातार मौसम से पिट रहा किसान अपनी बची खुची फसल को किसी तरह घर तक पहुंचा कर सुरक्षित करना चाहता है। गेंहू हो तिलहन अथवा दलहन सब खेत में ही है। कुछ फसलें कट चुकी हैं पर मड़ाई नहीं हुई है तो कुछ की मड़ाई हो चुकी है। ऐसे में आंधी या पानी कुछ भी आता है तो फसल की बर्बादी तो तय है। किसान रामखिलावन, अजीत सिंह, नरोत्तम प्रसाद, शिवनारायन आदि कहते हैं इसके पहले खरीफ की फसल भी खराब हो चुकी है ऐसे में हमें तो बस अब रबी की फसल से ही सहारा है। कारण कि यही फसल है जो इंसान और पशु दोनों के पेट का इंतजाम करती है। उधर जालौन संवाद सहयोगी के मुताबिक बुधवार को मौसम का रुख बदलने से किसान चौकन्ना हो गया है। अब फसल की उपज जल्दी घर पहुंच जाए इसी की फिक्र है।