आचार संहिता में फंसी ओडीएफ की सांस
संवाद सहयोगी, हाथरस: गांवों को खुले में शौच मुक्त किए जाने की पहल जिले में आचार संहिता की भेंट चढ़ ग
संवाद सहयोगी, हाथरस: गांवों को खुले में शौच मुक्त किए जाने की पहल जिले में आचार संहिता की भेंट चढ़ गई है। जबकि जिले के 48 ग्राम प्रधानों ने अपने गांव को ओडीएफ कराने के लिए वचन दिया था। लेकिन सूची फाइनल होने के बाद इन गांवों के शौचालय विहीन गरीब परिवारों की सूची अपडेट न होने पर शौचालय आवंटन रोक दिया था। अब आचार संहिता लागू होने के कारण यह योजना अधर में लटकी हुई है।
स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार ने गांवों को खुले में शौचमुक्त किए जाने के लिए ओडीएफ योजना लागू की है। जिसके तहत गांव में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को खुले में शौच न जाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। गांव के ऐसे परिवार जो शौचालय बनाने में सक्षम हैं। उन्हें खुद के संसाधनों से शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके अलावा ऐसे गरीब परिवार जो खुद शौचालय नहीं बनवा सकते हैं, उनके शौचालय का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके लिए प्रति शौचालय 12 हजार रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा गांवों तक पहुंचाने के लिए इसका प्रचार प्रसार किया गया। जनपद के 48 ग्राम प्रधानों ने अपने गांव को ओडीएफ से जोड़ने के लिए सहमति जताई और इस आशय का प्रमाण पत्र भी पंचायत राज विभाग को उपलब्ध कराया था। इसके साथ ही गरीबों की सूची भी उपलब्ध कराई गई थी। लेकिन पंचायत राज अधिकारी ने उनके गांव की सूची अपडेट न होने पर गांवों को ओडीएफ का लाभ रोक दिया था। इसके बाद जिले में विधान सभा चुनावों की आचार संहिता लागू हो जाने के कारण यह योजना अभी अधर में लटक गई है।
इनका कहना है.
ग्राम प्रधान व पंचायत सेक्रेटरी को सूची अपडेट किए जाने के लिए कहा गया था। अब सूची अपडेट होने के बाद आचार संहिता हटने पर गांवों को ओडीएफ कराने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
-दिनेश ¨सह, जिला पंचायत राज अधिकारी