गौ माता में 33 कोटि देवताओं का वास है
सादाबाद : गौ माता के शरीर में 33 कोटि देवी देवताओं का वास है। गाय चराचर व अखिल विश्व की माता है और गौ माता से ही विश्व का आधार है। गौ माता की पूजा करने से ही सम्पूर्ण देवी देवताओं की स्वयं ही पूजन हो जाता है। यह बातें स्थानीय अग्रसैन सेवा सदन में शनिवार से प्रारम्भ हुई तीन दिवसीय गौ कथा के प्रथम दिन आचार्य बाल योगी श्री पचौरी जी महाराज ने व्यक्त की। उन्होने कहा कि गीता गंगा गायत्री और गाय समस्त ब्रहमांड की अमूल सम्पदा है। समस्त देवी देवता ब्रहमा जी के पास आये और बोले देवता हमेशा अलग-अलग रहते हैं। ब्रहमा जी ने कहा आप सभी का निवास तो गौ माता में ही हो सकता है। तभी से सभी देवता गौ माता को अपना स्थान बनाकर बैठ गये। इसलिये गौ सेवा से लौकिक व अलोकिक दोनों प्रकार का सुख प्राप्त होता है। गौ माता की पीठ में सूर्य केतु नाड़ी का निवास है। जो सूर्यकेतु नाडÞी हमेशा स्वर्णभस्म निकालती रहती है। उसी के कारण गाय का दूध भी पीला हो जाता है। सूर्य नाड़ी का सम्बन्ध गौ पूछ से होता है। जिससे पितरो का तर्पण होता है। इस मौके पर डा. एसके अग्रवाल, सरिता अग्रवाल, अनिल शर्मा, सोमप्रकाश वाष्र्णेय, राजकुमार मित्तल, सुखदेव विरला, पप्पूलाला, सहित अनेक धर्मप्राण जन मौजूद थे।
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