बिन ट्रॉमा सेंटर कैसे बचे जिंदगी
कार्यालय संवाददाता, हाथरस : बढ़ते सड़क हादसों के मद्देनजर सादाबाद और सिकंदराराऊ में ट्रॉमा सेंटर खोले जाने की हेल्थ महमके से जुड़ी योजना सिर्फ फाइलों में कैद होकर रह गयी है। बिन ट्रॉमा सेंटर मरीजों को दिक्कतें होने के साथ उसकी जान भी चली जाती है। घायलों को सीधे आगरा या फिर अलीगढ़ रेफर कर दिया जाता है।
जिले में सिकन्दराराऊ के हुसैनपुर, एटा चुंगी, कासंगज रोड स्थित हनुमान मंदिर समेत कई ऐसे स्थल हैं, जहां पर आए दिन हादसे होते हैं। उसके बाद भी प्रशासन ने कोई भी कदम नहीं उठाया है। जब भी हादसे हुए कई लोगों की जान गई। यहीं हाल सादाबाद क्षेत्र में है। जहां के कुरसंडा, बौहरे का बास, गुरसौटी, आगरा रोड, बढ़ार आदि पर सर्वाधिक हादसे होते हैं। यहां से मरीजों का आगरा फिर अलीगढ़ रेफर किया जाता है। यहां पर शासन स्तर से ट्रॉमा सेंटर खोले जाने का प्रस्ताव है। कई बार शासन को इसके प्रस्ताव भी बनाकर भेजे गए है लेकिन उसके बाद भी स्थिति जस की तस है।
ट्रॉमा सेंटरों का प्रस्ताव जाने के बाद फिर किसी ने इस ओर मुड़कर नहीं देखा। यह प्रस्ताव फिलहाल फाइलों में ही कैद होकर रह गया है। आवश्यकता इन ट्रॉमा सेंटरों की स्थापना की है, ताकि मरीजों को शीघ्रता के साथ उपचार मिल सके और मरीजों की जान भी बच सके। क्योंकि सादाबाद से आगरा और सिकन्दराराऊ से अलीगढ़ लगभग तीस किमी दूर बैठता है, रास्ता भी बदहाल है जबकि मरीज वहां पहुंचता है उसके दम निकल चुके होते है। इसलिए विभाग को भी इस ओर गंभीरता से ध्यान देते हुए कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि ट्रोमा सेंटरों का जिन्न फाइलों से निकल सके और उसे हकीकत का अमलीजामा पहनाया जा सके। ताकि मरीजों को भी इसका लाभ मिले और उनकी जान न सके। ट्रोमा सेंटर बनने से पीड़ितों को शीघ्र ही उपचार मिल सकेगा।
इनका कहना है..
ट्रॉमा सेंटरों को लेकर पत्राचार किया जाएगा। ताकि शीघ्र ही इनकी स्थापना हो सके और लोगों को भी सही समय पर उपचार मिल सके।
- डा.रामकुमार, एसीएमओ
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