Move to Jagran APP

रहेंगे सावधान तो सुरक्षित रहेगी जान

कमल वाष्र्णेय, हाथरस यह बात सोलह आने सच है। हादसे के बाद दोष किसी के भी सिर मढ़ा जाए, लेकिन वा

By Edited By: Published: Fri, 09 Dec 2016 01:22 AM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2016 01:22 AM (IST)
रहेंगे सावधान तो सुरक्षित रहेगी जान

कमल वाष्र्णेय, हाथरस

loksabha election banner

यह बात सोलह आने सच है। हादसे के बाद दोष किसी के भी सिर मढ़ा जाए, लेकिन वास्तव में इसके जिम्मेदार हम ही हैं। यह ¨चतनीय विषय है कि हम सड़क पर चलते समय कितने गंभीर रहते हैं। सड़क पर उतरते ही जल्दबाजी हमारी प्रवृत्ति बन चुकी है। इसी जल्दबाजी के चलते हम यातायात नियमों की अनदेखी करते हैं। मसलन रफ्तार, हेलमेट, सीट बेल्ट इत्यादि। यही जल्दबाजी सड़क दुर्घटना से लेकर जगह-जगह लगने वाले जाम के लिए जिम्मेदार है, जो कि हमारे जीवन, समय व जेब के लिए नुकसानदेय है।

लापरवाही : सड़क पर लापरवाही की बानगी हर रोज देखने को मिलती है। अभी कुछ दिन पहले ही की बात है, थोड़ी सी चूक बाइक सवार तीन युवकों के लिए काल बन गई। सादाबाद-मथुरा रोड पर गांव टिकैत पर युवक ट्रैक्टर ट्राली में जा घुसे। बाइक की रफ्तार तेज थी, तीन सवारी थे तथा किसी ने हेलमेट भी नहीं पहन रखी थी। गलती ट्रैक्टर ट्राली वाले की भी रही, जिसने सड़क को पार्किंग बना रखा था। इसी तरह किसी न किसी की लापरवाही के कारण जिले में इस साल अब तक 122 मौतें सड़क हादसों में हो चुकी हैं। सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हादसों से सबक सिर्फ वही लेता है, जो कि खुद इनसे गुजरा हो। यातायात नियमों का पालन कराने के लिए पुलिस कार्रवाई भी करती है, लेकिन इससे लोगों को जागरूक कर पाना मुमकिन नहीं।

लाखों की वसूली : हर साल पुलिस हजारों चालान व सीज के जरिए लाखों रुपये शमन शुल्क वसूलती है। इसके बाद भी हालत नहीं सुधर रहे। लोग उसी ढर्रे पर चल रहे हैं। जिले में दस थाने हैं। विशेष अभियानों के दौरान हर थाना कम से कम 20 हजार रुपये प्रतिदिन जुर्माना वसूलता है तथा चालान की संख्या तीस से चालीस व सीज वाहन आधा दर्जन होते हैं। इस तरह के अभियान लगभग हर महीने चलते हैं। साल भर की बात करें तो प्रमुख कोतवाली डेढ़ से दो लाख रुपये जुर्माना वसूलती हैं तथा गांव-देहात के थाने का औसत पचास हजार से एक लाख रुपये है। इस औसत से वृहद कार्रवाई का अंदाजा लगाया जा सकता है। मोटर वाहन (एमवी) एक्ट में होने वाली इस कार्रवाई के बावजूद लोग यातायात नियमों का पालन नहीं करते।

महिलाओं को आजादी : जिले में महिलाओं को यातायात नियमों का उल्लंघन करने की पूरी आजादी है। वाहन चे¨कग के दौरान केवल पुरुषों के चालान काटे जाते हैं। दारोगा व सिपाही अधिकतर महिलाओं को रोकते ही नहीं। रोकते भी हैं तो केवल हिदायत देकर छोड़ देते हैं। यदि जिले में एक दिन में दो सौ चालान किए जाते हैं तो मुश्किल से उनमें एक या दो चालान महिलाओं के होते हैं। कभी-कभी वो भी नहीं। यातायात माह के दौरान हुई कार्रवाई का भी यही हाल रहा। एक भी महिला का एमवी एक्ट में चालान नहीं हुआ।

नशा है जानलेवा : हर साल होने वाले सड़क हादसों में बीस फीसद हादसे वाहन चालकों के नशे में होने के कारण होते हैं। अधिकतर रोडवेज बसों व ट्रकों के चालक रात को बिना शराब का सेवन किए नहीं चलते। यही वजह है कि रात को पैदल व दुपहिया वाहनों पर चलने वाले बड़े वाहनों से सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं। इस पर नकेल के लिए कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जाता। वाहन चालकों की जांच के लिए जिले में पुलिस पर ब्रीथ एनेलाइजर टेस्टर भी नहीं है।

जागरूकता ही उपाय : यातायात विशेषज्ञ अशोक कपूर का कहना है कि सख्ती से इस समस्या पर पार पाना मुमकिन नहीं। लोग जब तक जीवन के महत्व को नहीं समझेंगे, तब तक यातायात नियमों का उल्लंघन होता रहेगा। इस दिशा में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होते रहना चाहिए, जिससे लोगों को उनकी गलती का आभास हो। यातायात माह में भी केवल चु¨नदा स्कूल-कॉलेजों में कार्यक्रम कर इतिश्री कर ली जाती है।

लाइसेंस निरस्तीकरण : पूर्व पुलिस अधीक्षक अजयपाल शर्मा ने लोगों की आदत सुधारने के लिए लाइसेंस निलंबित व निरस्तीकरण की व्यवस्था शुरू की थी। इसके लिए यदि किसी व्यक्ति का दोबारा चालान होता है तो उसका लाइसेंस निलंबित किया जाएगा। तीन महीने निलंबित रहने के दौरान यदि फिर से यातायात नियम का उल्लंघन करता पाया जाता है तो लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा तथा फिर नहीं बनेगा। इसके लिए एमवी एक्ट में की गई कार्रवाइयों का रिकार्ड तैयार किया गया। शुरुआत में तीन दर्जन से अधिक चालान निरस्त भी कराए गए, लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद यह व्यवस्था ठप हो गई।

इनका कहना है

हर व्यक्ति पर शिकंजा कसना मुमकिन नहीं। रेलवे फाटक बंद होने के बावजूद लोग उसके नीचे से निकलते हैं। गलत लेन में वाहन चलाते हैं। जल्दबाजी के कारण जाम लगता है। लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। वाहन चे¨कग से लेकर जागरूकता कार्यक्रम, बैठक व अन्य प्रयास पुलिस करती रहती है। वाहन चे¨कग में पुलिस पर भी आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं। लोगों को समझना चाहिए कि सारी व्यवस्थाएं उन्हीं के लिए हैं।

संसार ¨सह, एएसपी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.