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सन्नाटे का सीना चीर सजने लगा मेला

जागरण संवाददाता, हाथरस : दस माह तक वीरान रहने वाला ऐतिहासिक दाऊजी किला परिसर रफ्ता-रफ्ता आबाद होन

By Edited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 27 Aug 2016 01:01 AM (IST)
सन्नाटे का सीना चीर सजने लगा मेला

जागरण संवाददाता, हाथरस : दस माह तक वीरान रहने वाला ऐतिहासिक दाऊजी किला परिसर रफ्ता-रफ्ता आबाद होने लगा है। मेला शुरू होने में अब मात्र नौ दिन शेष हैं, लिहाजा जिस तेजी के साथ प्रशासन ने अपने दायित्वों को पूरा किया, उसी गति से सन्नाटे का सीना चीर कर मेला सजने लगा है। रंगाई- पुताई और मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद खेल-तमाशे वालों का आना शुरू हो गया है। शहर के प्रमुख मार्गो पर हलवा-पराठे की दुकानें सजने लगी हैं। तमाम संयोजक गण भी कार्यक्रमों को ऐतिहासिक रूप प्रदान करने की खातिर जुट चुके हैं। अब सबको इंतजार है, उस गणेश चतुर्थी पांच सितंबर के आने का, जिस दिन मेला शुरू होगा और उसके तीसरे दिन बल्देव छठ सात सितंबर को मेले का विधिवत उद्घाटन होगा।

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चिट्ठी आई है..

दरअसल, ब्रज के छैल छिकनिया दाऊजी महाराज का यह मेला हर खास-ओ-आम के मन-प्राण में बसा है। चूंकि यह मेला हाथरस की सांस्कृतिक और साहित्यक जीवंतता का प्रमाण है, इसलिए साल भर इस आयोजन का इंतजार दूर-दराज रहने वाले लोगों और नाते रिश्तेदारों को भी रहता है। जो बहन-बेटियां सावन-सनूने (रक्षाबंधन) पर ननद आदि के आने की वजह से नहीं आ पातीं, वे इस मेले पर आती हैं। शहर से बाहर रहकर काम-धंधे में जुटे लोग बच्चों के पेपर व अन्य वजह से होली-दीपावली सरीखे त्योहारों पर नहीं आ पाते, वे दाऊजी मेले पर आते हैं। लिहाजा, परिजनों व नाते-रिश्तेदारों को बुलाने की खातिर फोन खटक चुके हैं। उनके आने का उल्लास और तैयारियों का दौर भी तमाम घरों में अभी से देखने को मिल रहा है।

सोएंगी नहीं सड़कें

पांच सितंबर से लगातार बीस दिन चलने वाले इस ऐतिहासिक लक्खी मेले के दौरान शहर की तमाम सड़कें चौबीसों घंटे आबाद रहेंगी। शहर के सिनेमा हॉल भी रात बारह बजे से तीन बजे तक का पांचवां शो चलाएंगे। दरअसल, मेला देखने के लिए गांव से आने वाले लोग दोपहर को झुंड बनाकर चलते हैं। खाने की पोटली साथ लाते हैं। शाम को मेला देखने के बाद रात को वहीं खाना खाते हैं, फिर कार्यक्रम आयोजन या फिर सिनेमा देखने के बाद शहर की दुकानों के तख्तों पर ही सो जाते हैं और सुबह होते ही चल देते हैं गांव की ओर। ऐसे में शहर की प्रमुख सड़कें रात को सोने की बजाय आबाद रहती हैं, जिन पर चहल-पहल के कारण रात भर खुलने वाली चाय-पान-बीड़ी आदि की दुकानें भी हैं।

कार्यक्रमों की तैयारियां

मेले में दैनिक जागरण के संयोजन में होने वाले अखिल भारतीय कवि सम्मेलन समेत अन्य तमाम कार्यक्रमों का इंतजार भी पूरे साल लोगों को रहता है। अखिल भारतीय ब्रजभाषा कवि सम्मेलन,दंगल, रास, रसिया, कब्बाली, संगीत सम्मेलन समेत तमाम आयोजनों की तैयारियों का दौर भी तेजी के साथ शुरू हो चुका हैं। नामचीन कलाकारों को बुलाए जाने की तैयारियों की खबरें है।

खेल-तमाशे

तहबाजारी ठेके फाइनल न होने तक जो दुकानदार परेशान थे, वे अब शकुन में है। देश के विभिन्न प्रांतों से दुकानों के साथ झूला, वेरायटी शो व अन्य मनोरंजक केंद्रों का आना शुरू हो चुका है। इन्हें देखने के लिए बच्चों की टोलियों का जमघट भी किला परिसर में जुटने लगा है। इधर, आगरा अलीगढ़ रोड व मथुरा बरेली राजमार्ग पर भी हलवा-पराठा की दुकानें सज गई हैं। मेला परिसर में बिजली, साउंड आदि का भी काम शुरू हो जाएगा, क्योंकि इस काम में काफी वक्त लगता है। सड़क, सफाई और पेयजल से जुड़ी जन सुविधाओं की बहाली के लिए नगर पालिका तंत्र जुटा हुआ है। विभिन्न समाज के लोग अपने शिविर सजाने की प्रक्रिया को अंजाम दे रहे है। इसके लिए कमेटियों के गठन की औपचारिकता भी पूरी हो रही है। कुल मिलाकर नौ दिन बाद किला परिसर में वो अनूठी छटा दिखेगी, जिसका साल भर इंतजार सिर्फ हाथरस या ब्रज को ही नहीं, आसपास के अंचलों को भी रहता है।


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