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फंड होते हुए भी मुंह ताक रहे ग्राम प्रधान

संवाद सहयोगी, हाथरस : सितंबर 2015 के बाद से ग्राम पंचायतें विकास को तरस रही हैं। आनलाइन की दिक्कतों

By Edited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 01:01 AM (IST)
फंड होते हुए भी मुंह ताक रहे ग्राम प्रधान

संवाद सहयोगी, हाथरस : सितंबर 2015 के बाद से ग्राम पंचायतें विकास को तरस रही हैं। आनलाइन की दिक्कतों के चलते ग्राम प्रधान फंड को हाथ भी नहीं लगा पा रहे हैं, जबकि उन्होंने चुनाव के दौरान लोगों से गांव के चहुंमुखी विकास का वायदा किया था। अब सरकार की फंड खर्च की पारदर्शिता के चलते पूरी प्ला¨नग से ही काम शुरू हो पाएंगे। इसके लिए प्रधान ब्लाक से लेकर जिला मुख्यालय तक चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन वर्क आइडी जनरेट होने की अड़चन से वे इस फंड को हाथ नहीं लगा पा रहे हैं।

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केंद्र व प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायतों की फंड से झोली भर दी है। केंद्र सरकार ने जहां 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप शत प्रतिशत फंड सीधे ग्राम पंचायतों के खातों में ट्रांसफर कर दिया है, वहीं राज्य सरकार ने भी चतुर्थ वित्त आयोग की 40 प्रतिशत धनराशि ग्राम पंचायतों को देने के आदेश दिए हैं। शेष धनराशि जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायतों के लिए आरक्षित की गई है। इतनी बड़ी धनराशि दिए जाने के बाद सरकार ने इनकी पारदर्शिता के लिए साफ्टवेयर विकसित किया है। एक्शन साफ्ट के नाम से इस साफ्टवेयर पर ग्राम पंचायतें दो तरह की प्ला¨नग करेंगी। पहली वाíषक कार्ययोजना व दूसरी पंचवर्षीय कार्ययोजना। यह दोनों ही कार्ययोजना साफ्टवेयर में फीड होंगी और इन्हें आइडी मिल जायेगी। इस कार्ययोजना में कोई फेरबदल नहीं होगा। यानी प्रधान कार्ययोजना में प्रस्तावित कार्यों में प्राथमिकता तो तय कर सकते हैं, लेकिन दूसरे नए कार्य नहीं जोड़ सकेंगे। यह कार्ययोजना भी ग्राम पंचायत की खुली बैठक में तैयार होंगी। जिले में अभी पंच वर्षीय कार्ययोजना तो नहीं बनी है, लेकिन ज्यादातर ग्राम पंचायतों की वाíषक कार्ययोजना पंचायत राज विभाग को मिल गई है। इसमें प्रस्तावित कार्यों की ढाई लाख से अधिक की कार्ययोजना के लिए वित्तीय व तकनीकी स्वीकृति जिला स्तरीय अधिकारियों से लेनी होगी। इसके टेंडर भी समाचार पत्रों में प्रकाशित कराने होंगे। इसी के बाद कार्य शुरू हो पायेंगे। कार्यों पर होने वाले खर्च का पूरा विवरण प्रिया साफ्टवेयर पर अपलोड किए जायेंगे। जो बाद में एक्शन साफ्टवेयर से ¨लक हो जायेंगे। जिससे पूरा कार्य पारदर्शिता के साथ होगा। अब प्रधानों के साथ इसमें इंजीनियरों की भूमिका भी अहम होगी। इन सभी अड़चनों के चलते कार्य शुरू होने में देरी हो रही है। जिससे प्रधान फंड होते हुए भी प्रधान इससे हाथ नहीं लगा पा रहे हैं।

इनका कहना है.

शासन की मंशा के अनुरूप ही पूरी प्रक्रिया अपनाई जायेगी। इसीलिए फंड को खर्च करने में दिक्कतें आ रही हैं। आनलाइन साफ्टवेयर में कार्ययोजना की फी¨डग चल रही है। वर्कआईडी जनरेट होने के बाद ही प्रस्तावित कार्य शुरू करा दिए जायेंगे। ग्राम पंचायतों के सभी कार्य अब सिस्टम से ही पूरे होंगे। जिसमें किसी प्रकार की ढिलाई सहन नहीं की जायेगी।

-जगदीश राम गौतम, जिला पंचायत राज अधिकारी।


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