दाम पूरे सुरक्षा के इंतजाम अधूरे
हाथरस : तीन साल पहले की बात है। अलीगढ़ रोड स्थित एक गेस्ट हाउस में शादी का कार्यक्रम चल रहा था। इस
हाथरस : तीन साल पहले की बात है। अलीगढ़ रोड स्थित एक गेस्ट हाउस में शादी का कार्यक्रम चल रहा था। इस बीच गेस्ट हाउस के टॉयलेट में एक महिला की हत्या कर दी गई। टॉयलेट में शव मिलने से अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। कई महीने विवचेना चली। मामला क्राइम ब्रांच भी पहुंचा, पर पुलिस आरोपी तक नहीं पहुंच सकी। ऐसे में मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई। इस घटना से सबक लेते हुए मालिक ने गेस्ट हाउस में सीसी टीवी कैमरे लगवाए, मगर अन्य किसी गेस्ट हाउस संचालक ने सबक नहीं लिया।
व्यवस्था में पोल
किसी भी सार्वजनिक भवन निर्माण कराने से पहले सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है सुरक्षा इंतजामों की। ऐसा कानूनी रूप से भी जरूरी है, जिससे आपातकालीन परिस्थितियों से निपटा जा सके। स्कूल, कॉलेज, हॉस्पीटल, गेस्ट हाउस आदि के निर्माण से पहले इन बातों पर गौर किया जाता है, पर जिले में ऐसा नहीं होता। यहां तो हालात ही विपरीत है। कमाई की होड़ में एक के बाद एक गेस्ट हाउस/फार्म हाउस खड़े हो रहे हैं, लेकिन सुरक्षा इंतजामों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कुछ वर्षो में शहर में मैरिज होम, गेस्ट हाउस, फार्म हाउस की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। इनमें से सबसे अधिक नेशनल हाइवे-93 पर संचालित हैं। एकाध को छोड़ दें तो अधिकतर में सुरक्षा इंतजामों को अनदेखा किया गया है, जबकि संचालक किराया मनमाफिक वसूलते हैं।
अग्निशमन व्यवस्था
पांच सौ वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्र में में बनने वाले भवन के लिए अग्निशमन विभाग से एनओसी प्राप्त करना आवश्यक होता है। मल्टीस्टोरी में यह सीमा घटकर दो सौ वर्ग मीटर रह जाती है। एनओसी देने से पहले अग्निशमन विभाग नक्शे का अवलोकन करता है। नियमों पर खरा उतरने के बाद ही एनओसी दी जाती है, जो गेस्ट हाउस पुराने हैं उनमें अग्निशमन यंत्र लगवाकर अस्थाई क्रियाशील प्रमाण पत्र दिया जाता है। अग्निशमन विभाग का दावा है कि हर गेस्ट हाउस में अग्निशमन यंत्र लगे हैं, पर कितने लोग उन्हें चलाना जानते हैं यह बात और है। निर्माण पूर्व एनओसी की बात करें तो यह भी चु¨नदा बड़े गेस्ट हाउस पर हैं, बाकी साठगांठ से संचालित हैं।
सीसीटीवी कैमरे की अनदेखी
सुरक्षा इंतजामों के क्रम में मैरिज होम में सीसीटीवी कैमरे भी अनिवार्य हैं, जबकि शहर के अधिकतर मैरिज होम व गेस्ट हाउस में सिक्योरिटी कैमरे नदारद हैं। पार्किंग स्थल न होने के कारण वाहन सड़क पर खड़े होते हैं। परिणाम स्वरूप वाहन चोरी होते हैं। सीसीटीवी कैमरे न होने के कारण पुलिस वाहन चोरों तक नहीं पहुंच पाती। अन्य घटनाओं जैसे शादी के दौरान चोरी, हर्ष फाय¨रग, चेन स्ने¨चग आदि में भी सीसीटीवी कैमरों से काफी मदद मिलती है। इलाका पुलिस द्वारा समय-समय पर आगाह करने के बाद भी संचालक इसे गंभीरता से नहीं लेते।
निजी सिक्योरिटी
जिस हिसाब से किराया वसूला जाता है, उसके अनुसार सुविधाएं भी होनी चाहिए। निजी कार्यक्रमों में पुलिस व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं। ऐसे में गेस्ट हाउस संचालक की पूरी जिम्मेदारी बनती है कि वे निजी सिक्योरिटी का इंतजाम करे। सिक्योरिटी के नाम पर गेट पर बस चौकीदार ही तैनात रहते हैं। व्यक्ति विशेष के अनुसार गेस्ट हाउस में गार्ड की व्यवस्था की जाती है। अधिकतर शादियों में सुरक्षा गार्ड नदारद ही रहते हैं। कहीं कहीं तो गेस्ट हाउस कर्मियों को ही खड़ा कर दिया जाता है। जब कि गेस्ट हाउस में सुरक्षा गार्ड स्थाई पद होना चाहिए या फिर प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों के गार्ड होने चाहिए। सुरक्षा गार्ड न होने के कारण मारपीट जैसी छोटी-मोटी घटनाओं के दौरान पुलिस को पहुंचना पड़ता है।
--
इनका कहना है
हर साल गेस्ट हाउस में अग्निशमन व्यवस्था की पड़ताल की जाती है। इसी आधार पर क्रियाशील प्रमाण दिया जाता है। पुराने गेस्ट हाउस को अस्थाई प्रमाण पत्र ही दिए जाते हैं। शहर में अधिकतर गेस्ट हाउस व मैरिज होम में अग्निशमन यंत्र हैं। धर्मशालाओं में उपकरण लगवाने के निर्देश दिए गए हैं। बिना विभाग की एनओसी के नया गेस्ट हाउस नहीं बन सकता।
-कुंवर ¨सह, जिला अग्निशमन अधिकारी।
--
गेस्ट हाउस, मैरिज होम में लोगों की सुरक्षा वहां के मालिक की जिम्मेदारी है। हर गेस्ट हाउस में कैमरे व निजी गार्ड होने चाहिए। शादियों के दिनों में थानाध्यक्षों को गश्त बढ़ाने के लिए निर्देशित कर दिया जाता है। पुलिस अपना काम करती है। गेस्ट हाउस संचालकों को भी सुरक्षा इंतजामों पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
-अजय शंकर राय, एएसपी।