कूड़े के ढेर पर कीड़े सी जिंदगी
नीरज सौंखिया, हाथरस सफाई के प्रति हमारी अपनी भी जिम्मेदारी है। सिर्फ दूसरों को कोसने, ताना देन
नीरज सौंखिया, हाथरस
सफाई के प्रति हमारी अपनी भी जिम्मेदारी है। सिर्फ दूसरों को कोसने, ताना देने और सफाई कर्मियों के भरोसे बैठे रहने से कूड़े के ढेर पर कीड़े सी जिंदगी जीने को मजबूर हो जाएंगे। बेहतर होगा कि स्वच्छ भारत, स्वस्थ्य भारत के सपने को साकार करने के लिए खुद भी कमर कस लें। शुरुआत घर से करें, फिर दरवाजे पर सड़क भी साफ सुथरी रखने में सहयोग दें। हम आगे बढ़ेंगे तो दूसरे भी अनुसरण करते हुए हमारे साथ होंगे। बच्चे भी सीखेंगे सफाई का मूल मंत्र, तभी तो अपने प्रधानमंत्री का सपना साकार होगा।
कभी जाते हैं जिला अस्पताल? देखा है उसका मुख्य द्वार? यहां सबसे ज्यादा साफ-सफाई की जरूरत है मगर यहीं सर्वाधिक गंदगी नाक पर रूमाल रखने को विवश कर देती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष जब स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का नारा देते हुए सफाई की तो यहां के जिला अस्पताल में भी भाजपाई व अन्य सामाजिक संगठन सफाई के लिए आगे आए थे। उन्होंने सफाई के लिए झाडू भी उठाई थी मगर एक दिन चंद समय के लिए झाडू लगाकर फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आज अस्पताल परिसर में बने क्वार्टरों पर नजर डाली जाए तो यहां के कर्मचारी ही खुद परेशान हैं। जलनिकासी के उचित प्रबंध न होने के कारण वह घरों के बाहर ही भरा हुआ है। ऐसे में यहां पर झाड़ियों के साथ ही साथ मच्छरों का प्रकोप है। सवाल यह है कि जो हमारे जीवन की रक्षा करते हैं वह भी खुद गंदगी में रह रहे हैं। इस ओर किसी भी ध्यान नहीं है। काश! यहां पर भी समय से ध्यान दिया गया होता तो शायद यह गंदगी नहीं होती और आज हालात पहले से भी बदतर न होते। यहां हालात में सुधार की आवश्यकता है। ऐसे में उन लोगों को भी सफाई में सहयोग करना चाहिए जो जिला अस्पताल से किसी न किसी तरह से लाभान्वित हो रहे हैं। तभी सफाई का मंत्र सफल हो सकेगा और प्रधानमंत्री का नारा सार्थक सिद्ध होगा। इसके लिए संकल्प लेकर उसपर अमल की जरूरत है। जब हम कुछ करेंगे तभी युवा पीढ़ी आगे आएगी। इसलिए नसीहत देने से पहले कुछ करने की जरूरत है, ताकि अन्य लोग भी हमसे जुड़ें।
सबसे जरूरी बात.. खुली जगह पर या नाले में कूड़ा डालने से अब बाज आना चाहिए। कूड़ा या पालीथिन नियत स्थान पर डालें तो सफाई का उद्देश्य पूरा होगा और सफाई कर्मियों को भी थोड़ी मदद मिल जाएगी।
इनका कहना है-
प्रधानमंत्री ने जो नारा दिया है वह वाकई काबिले तारीफ है। हमें इसमें दूसरों को नसीहत देने की बजाय खुद सहयोग करना होगा, ताकि शहर नीट एंड क्लीन बने।
उमेश कुमार।
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दुकान व घर का कूड़ा सड़क या फिर नाले में डालने से तो समस्या का निदान नहीं होगा। इसके लिए हमें समय का ध्यान रखना होगा, ताकि सफाई कर्मी से पहले ही कूड़ा बाहर डाले।
रविन्द्र कुमार।
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सफाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए। जिस प्रकार घर की सफाई करते हैं ठीक उसी प्रकार हमें बाहर भी सफाई पर ध्यान देना होगा, ताकि घर के आंगन की भांति बाहर भी सफाई रहे।
सत्येन्द्र कुमार।
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सिस्टम की सुनो
सफाई पर सीमित संसाधनों में काम हो रहा है। यदि ट्रैक्टर ट्राली निकल जाए तो कूड़े को पालीथिन में बंद करके घर में ही रखें, ताकि सड़क पर जानवर गंदगी न फैलाएं। इस सफलता के लिए जनसहयोग की महती आवश्यकता है।
बालकृष्ण कुम्हेरिया, अधिशासी अधिकारी।
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पालिका के संसाधन
नगर पालिका के पास सीमित संसाधन हैं। मात्र 11 ट्रैक्टर, छह टेम्पो हैं। सफाई कर्मचारी भी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं। ऐसे में लोगों को सहयोग करना चाहिए, ताकि सफाई होने के साथ दिखे भी। दूसरी ओर पालिका द्वारा जल्द ही कचरा निस्तारण प्लांट की स्थापना पर जोर है। इसमें प्रति घर से कूड़ा एकत्रित किया जाएगा और उसका निस्तारण भी नियत स्थान पर होगा, ताकि सफाई व्यवस्था बनी रहे।