ख्वाबों के खंडहर पर विकास का ढिंढोरा
मदन मोहन शर्मा, हाथरस जब सांसद आदर्श गांव अहवरनपुर में ही छह महीने में कोई चमत्कार नहीं हो सका
मदन मोहन शर्मा, हाथरस
जब सांसद आदर्श गांव अहवरनपुर में ही छह महीने में कोई चमत्कार नहीं हो सका तो न्याय पंचायत लहरा के विकास की क्या उम्मीद करें। यह वेदना है लहरा वालों की। गांव में तमाम योजनाओं के लिए सरकारी भवन बने, मगर रखरखाव के अभाव में खंडहर होते जा रहे हैं, सांसद की ओर से दिखाए गए विकास के ख्वाबों की तरह। सांसद ने छह महीने पहले जब अहवरनपुर को गोद लेने की घोषणा की तो उम्मीद यहां भी बंधी थी, मगर अब टूटती नजर आ रही है।
मुरसान ब्लाक की ग्राम पंचायत अहवरनपुर की न्याय पंचायत लहरा है। यहां पर तमाम सरकारी भवन पहले से मौजूद हैं, मगर रखरखाव के अभाव में खंडहर बन चुके हैं। इनकी ओर न तो ग्राम प्रधान की नजर है और न ही उनके विभागाध्यक्षों का कोई ध्यान है। देखा जाए तो इस गांव में खर्च हुआ सरकारी धन बेकार साबित हो रहा है। ग्रामीणों ने कुछ सरकारी भवनों को तो अपने निजी प्रयोग में ले रखा है। इनमें उपले रखे हुए हैं। आंगनबाड़ी केंद्र में भूसा भरा हुआ है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बच्चों के लिए बनाए गए शौचालय कंडम हो गए हैं। इनमें गेट तक गायब हैं। पानी के लिए रखी गई टंकी तोड़ दी गई है। जिससे शौचालय का प्रयोग बेमानी हो गया है।
गांव में बनाया गया तालाब भी पानी न होने से सूख रहा है। न्याय पंचायत के ही पशु चिकित्सालय व पोस्ट ऑफिस बड़ी पंचायत होने से अहवरनपुर में स्थापित हो गए हैं। यहां पर न्याय पंचायत संसाधन केंद्र व प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय तो हैं, लेकिन इन सरकारी भवनों के रख-रखाव की ओर किसी का ध्यान नहीं है। सांसद ने जब छह माह पूर्व अहवरनपुर को गोद लेने की घोषणा की थी तो लहरा वालों का भी मन डोला था। उन्हें लगा था कि जब अहवरनपुर का विकास होगा तो उसकी किरण उनके यहां तक पहुंचेगी। भले ही उनके यहां कुछ नया न हो, मगर जो पुरानी सुविधाएं जर्जर हो चुकी हैं वह तो बहाल हो ही जाएंगी। अब जब छह महीने के अंतराल में अहवरनपुर में ही कुछ नहीं हुआ तो लहरा वालों में भी मायूसी छा रही है।
ग्रामीणों के बोल
घर के पास सरकारी हैंडपंप लगा है। यह लंबे समय से खराब पड़ा है। इसकी किसी को सुध नहीं है। हमने भाजपा को वोट दिया था। इसका ऐसा सिला मिलेगा यह तो सोचा ही नहीं था। सांसद को आदर्श के साथ सामान्य गांवों की ओर भी ध्यान देना चाहिए।
-सुभाष चंद्र शर्मा, ग्रामीण, लहरा।
गांवो में वोट तो सभी देते हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि का यह दायित्व है कि वह पहले उन गांवों का विकास कराएं जो आजादी के बाद से आज तक उपेक्षा के शिकार हैं। अगर ऐसा हुआ तो सांसद निधि व अन्य योजनाओं की सार्थकता सिद्ध होगी।
-नत्थीलाल, पूर्व सींच पर्यवेक्षक, लहरा।
अहवरनपुर में तमाम आरएसएस के लोग रहते हैं, जिसके चलते अहवरनपुर का चयन सांसद आदर्श गांव योजना में हुआ है। अगर सांसद सही तरीके से काम कराना चाहते हैं तो विकास में पिछड़े गांवों का कायाकल्प करना चाहिए।
-सुरेश चंद्र, चौकीदार, लहरा।
विकास ग्राम की पहली जरूरत है। मैं गांव की प्रधान न होते हुए भी जनता की सेवा में हाजिर रहती हूं। हाल ही में जल निगम से पांच हैंडपंप रीबोर कराए हैं। इससे ही गांव की जनता बेहद खुश है। सांसद भी कुछ करा दें तो उन्हें भी यह ग्रामीण याद रखेंगे।
-अनीसा बेगम, जिला महासचिव सपा महिला सभा।
प्रधान जी की सुनिये
गांव मे पंचायत भवन, एएनएम सेंटर, खाद गोदाम सहित तमाम व्यवस्थाएं हैं, मगर नियमित संचालित नहीं हैं। हमने कई बार इसके लिए प्रशासनिक अफसरों को शिकायत भेजी है, लेकिन किसी ने इन भवनों की सुध नहीं ली है। मैं खुद पंचायत भवन में बैठक लेता हूं। भवनों की दुर्दशा के लिए मैं दोषी नहीं हूं। संबंधित विभागों में कर्मचारियों की कमी के चलते ही यह भवन बेकार हुए हैं।
-हबीब खां, प्रधान लहरा।
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