वही अंदाज.. रामराम सा और सीधे संवाद
जागरण संवाददाता, हाथरस : छोटे चौधरी के लिए सादाबाद आज भी मिनी छपरौली ही नजर आया। तपती दोपहरी, पर समर
जागरण संवाददाता, हाथरस : छोटे चौधरी के लिए सादाबाद आज भी मिनी छपरौली ही नजर आया। तपती दोपहरी, पर समर्थकों का उत्साह व जोश तनिक भी कम नहीं। दोपहर 12 बजे आने का कार्यक्रम, मगर करीब सवा घंटा विलंब से पहुंचे। फिर भी खचाखच भरा रहा पंडाल। मंच पर आते ही वही चिरपरिचित अंदाज रामराम सा.., अरे आवाज हल्की है। फिर बोले रामराम सा और रामराम सा से गूंज उठा पंडाल। इसके बाद भाषण और फिर किसानों से सीधे संवाद। इसी बीच मोदी पर तंज, कहां हैं अच्छे दिन?
भले ही फिलहाल सादाबाद से रालोद का विधायक नहीं, मगर यह क्षेत्र शुरू से ही रालोद का गढ़ रहा है। चौ. चरण ¨सह खुद इसे मिनी छपरौली की संज्ञा देते थे। छोटे चौधरी अजित ¨सह का भी सादाबाद को लेकर यही नजरिया बना हुआ है। यह आज चौ. अजित ¨सह के आगमन पर सादाबाद इंटर कालेज मैदान में हुई किसान पंचायत में साबित भी हुआ। अपने प्रिय नेता के आगमन को लेकर यहां सुबह से ही कार्यकर्ता जुटने शुरू हो गए थे। चिलचिलती धूप भी उनके उत्साह को थाम नहीं पा रही थी। छोटे चौधरी को दोपहर में बारह बजे आना था, मगर वे करीब सवा बजे आए, मगर इस सवा घंटे के अंतराल में समर्थकों व कार्यकर्ताओं का उत्साह तपती दोपहर में भी कहीं कम होते नजर नहीं आया। वे अपनी जगह पर यथावत बैठे इंतजार ही करते रहे।
छोटे चौधरी कार से उतरकर जैसे ही मंच की ओर आने लगे, कार्यकर्ताओं के चेहरों पर चमक बढ़ती रही और वे खड़े होकर उन्हें निहारने की कोशिश करते दिखे। मंच पर पहुंचते ही चौ. अजित ¨सह ने वही अपने चिरपरिचित अंदाज में पहले हाथ उठाकर हिलाया और फिर रामराम सा.. कहकर कार्यकर्ताओं व समर्थकों का अभिवादन किया। प्रत्युत्तर में आवाज कुछ धीमी आई तो फिर माइक संभालकर रामराम सा..बोले। फिर तो जवाब में पूरा पंडाल गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने भाषण के लिए माइक संभाला। शुरू किसानों की दुखती रग पर हाथ रखकर किया। बोले मार्च-अप्रैल महीने किसानों के लिए बहुत कीमती हैं। ये वक्त किसानों के बीच जाकर सभा या फिर चर्चा करने का नहीं है, लेकिन आज मजबूरी है। किसान मर रहा है। उसकी आवाज को बुलंद करने वाला कोई नहीं। रालोद किसानों की पार्टी है। हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया है और करते रहेंगे। इस बीच किसानों से सीधे संवाद भी किया। करील के रनवीर ¨सह, नौपुरा के रामवीर ¨सह, ऊंचागांव के राजवीर ¨सह, गढ़ी गुमानी के मान ¨सह, मडनई के करन ¨सह, आदि ने फसल बर्बादी का दर्द बयां किया। कहा कि इस बार बेमौसम बारिश के कारण वे तबाह हो चुके हैं। इस पर छोटे चौधरी ने तपाक से कहा, कहां हैं अच्छे दिन की दुहाई देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। क्या उन्होंने किसानों के बीच आकर आंसू पोंछे, नहीं। यह काम सिर्फ रालोद ही करती है। इसके बाद उनका भाषण शुरू हुआ और वह केंद्र व प्रदेश सरकारों पर केंद्रित ही रहा। करीब एक घंटे बाद उनके मंच से उतरते ही जिन्दाबाद के नारे लगने शुरू हो गए। साथ ही उनकी झलक पाने के लिए लोग उनकी कार की ओर भी दौड़े।