होली पर हमला, डराएंगे राक्षस!
जागरण संवाददाता, हाथरस : होली पर हमले की तैयारी पूरी हो गई है। हमलावर बाल मंडली में हुड़दंगी होंगे
जागरण संवाददाता, हाथरस : होली पर हमले की तैयारी पूरी हो गई है। हमलावर बाल मंडली में हुड़दंगी होंगे। हथियारों की तरह-तरह पिचकारी और रंग भरे गुब्बारे होंगे। डराने को मुखौटे और सिर बचाने को टोपियां मार्केट में सज गई हैं। लाखों रुपये का माल थोक व्यापारियों के गोदामों से बाजारों में आ गया है, जिनकी छोटी-बड़ी दुकानों के साथ हाथ ठेले के जरिये भी ब्रिकी हो रही है। रंग- बिरंगी चुनरियां भी आकर्षण का केंद्र बन रही हैं, जबकि नकली मूंछ-दाढ़ी व चश्मे भी हंसी के केंद्र होंगे।
सिमट गया काम
होली में मात्र एक दिन शेष है। रंग की फैक्ट्रियों में सीजनल कार्य भी समाप्ति की ओर है। पहले से बुक आर्डर की सप्लाई भी पूर्ण हो चुकी है। हालांकि मौसम बिगड़ने के कारण हालत बिगड़े हैं, लेकिन कार्य पूर्ण किया जा रहा है।
बाजारों में सजी दुकानें
होली के त्योहार में मात्र एक दिन शेष है वैसे-वैसे बाजारों में भी रंग-गुलाल की दुकानें सज गई हैं। देहातों में भी माल की सप्लाई हो गई है। देहात में भी दुकानदारों ने रंग और गुलाल को सजा लिया है, ताकि वह होली के पर्व को भुना सकें।
सजीं पिचकारियां
शहरों से लेकर देहात तक पिचकारियों की दुकानें सज गई हैं। इनमें बैंगन, सिगरेट की डिब्बे के अलावा सिर की टोपी में लगी पिचकारी, टैंक पिचकारी, डोरीमोन, छोटा भीम, मोदी, केजरीवाल आदि पिचकारी भी आ गई हैं। पिचकारियां पांच रुपये से लेकर पांच सौ रुपये तक की हैं।
दिल्ली से सप्लाई
जिले में पिचकारी व मुखौटों की आपूर्ति दिल्ली से होती है। माल को थोक व्यापारी ला चुके हैं। थोक व्यापारियों की दुकानों से फुटकर व्यापारी खरीदकर अपनी दुकानों को सजा चुके हैं। बिगड़ता मौसम सभी को परेशान किए हुए है, मगर होली तो होकर रहेगी।
चाइनीज मुखौटे
इस समय चाइनीज मुखौटे सज गए हैं। इनमें राक्षस मुखौटे, सिर को बचाने के लिए हैट, चश्मा वाला हैट, सींग का मुखौटा, सिर के लिए विभिन्न प्रकार की टोपियां, राजस्थानी टोपी आकर्षण का केंद्र है। पचास से लेकर तीन सौ रुपये तक इनकी कीमत है। इनमें चाइनीज मुकुट भी है। देहातों में इनकी जबरदस्त मांग है।
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टेसू के फूल हैं त्वचा की दवा
(स्वस्थ्य समाज)
-परंपराओं से जुड़ी चीजें सेहत की रक्षक
-सिर्फ रस्म अदायगी तक ही सीमित रह गए
जागरण संवाददाता, हाथरस : ब्रज क्षेत्र में आज भी टेसू के फूलों की खास अहमियत है। टेसू के फूल त्वचा रोग के लिए शूल होते हैं। यह बात सही है, लेकिन बदलते दौर में इन्हें पब्लिक भूलती जा रही है।
भावनात्मक लगाव
राधा संग होली खेलते कृष्ण और उन पर टेसू के रंगों की बरसात के किस्से किताबों में पढ़ने तथा बुजुर्गों से सुनने को मिल जाते हैं। यही वजह है कि ब्रज क्षेत्र में टेसू के फूलों से भावनात्मक लगाव है। जमाना बदला तो केमिकल वाले रंग और गुलाल की चहुंओर भरमार हो गई, लेकिन टेसू के फूलों की रंगत आज भी उसी तरह से बरकरार है।
फूल ही नहीं, औषधि भी
टेसू के फूल में औषधीय गुण भी है। शहर के दर्जनों व्यापारी इसका कारोबार करते हैं। टेसू के ये फूल जिन्हें कहीं-कहीं ढाक के फूल भी कहा जाता है, मुख्यत: झांसी, मऊ, रानीपुर, मध्य प्रदेश के विभिन्न इलाकों में होता है। यहां पर भी टेसू के फूल होते हैं लेकिन उनकी मात्रा मांग के अनुरूप बहुत ही कम है। टेसू के फूल असाध्य चर्म रोग में भी लाभप्रद हैं।
ऐसे करे प्रयोग
हल्के गुनगुने पानी में डालकर सूजन वाली जगह धोने से आराम मिलता है। साथ ही सूजन भी कम होती है। होलिका दहन से पांच दिन पूर्व रंगभरनी एकादशी से ही इनकी बौछार शुरू होने लगती थी। देवालयों पर आने वाले भक्तों पर इनकी बौछार की जाती थी। इसे भगवान का प्रसाद माना जाता है। ब्रज के मथुरा, आगरा, हाथरस, दाऊजी, गोकुल आदि क्षेत्रों में इसका प्रचलन है। नंदगांव बरसाने की लठामार होली हो या फिर दाऊजी का हुरंगा। इसका पानी खाज, खुजली, चेचक जैसे रोगों में औषधि का काम करता है। टेसू के फूलों के व्यापारी धनीराम अग्रवाल, हरिओम कुमार का कहना है कि आधा किलो टेसू के फूल पन्द्रह लीटर पानी के लिए बहुत है।
इनका कहना है
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टेसू के फूल त्वचा रोग के लिए रामबाण औषधि हैं। केमिकल वाले रंगों से त्वचा पर जलन होती है लेकिन टेसू के फूल से नहीं। टेसू के फूल से एलर्जी भी नहीं होती है।
-डा.आरपी ¨सह,वरिष्ठ चिकित्सक
जिला बागला अस्पताल।
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इनकी सुनो-
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टेसू के फूल धार्मिक भावनाओं से जुड़े हैं। देव मंदिरों में आज भी इसका प्रयोग देव प्रतिमाओं पर किया जाता है। वह सेहत के लिए बेहतर है।
-पं.सुरेश चन्द्र मिश्र, धर्माचार्य।
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इस बार टेसू के फूलों पर बीस रुपये प्रति किलो का इजाफा हुआ है। वहीं पूर्व की भांति इनकी खरीद-फरोक्त भी नहीं है। केमिकल रंगों की डिमांड ज्यादा रहती है।
-अनिल अग्निहोत्री, दुकानदार।
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यह फूल ही नहीं औषधि भी है। इससे कोई एलर्जी नहीं होती। न ही शरीर को कोई हानि होता है। पहले इसका ही सर्वाधिक प्रयोग होता था अब वह नहीं रहा।
-वैद्य गिरिराज प्रसाद शर्मा।
पालिका में होगा होली मिलन
हाथरस : नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष डॉली माहौर ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस बार भी नगर पालिका परिसर में 6 मार्च को शाम तीन बजे से होली मिलन समारोह होगा। उन्होंने सभासदों, पालिका अधिकारियों, कवि, साहित्यकार, पत्रकार, गणमान्य नागरिकों से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने की अपील की है।