Move to Jagran APP

पढ़ाई की राह में पालक का रोड़ा

संवाद सहयोगी, हाथरस : एवरेस्ट की ऊंचाइयों से लेकर राजनीतिक क्षितिज तक पर परचम लहरा चुकीं बेटियां

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 07:12 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 07:12 PM (IST)
पढ़ाई की राह में पालक का रोड़ा

संवाद सहयोगी, हाथरस : एवरेस्ट की ऊंचाइयों से लेकर राजनीतिक क्षितिज तक पर परचम लहरा चुकीं बेटियां आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। बागला कालेज में सामने आया एक प्रकरण इसकी गवाही देता है। यहां एक पालनहार ही बेटी की राह में रोड़ा बनते दिख रहे हैं। उन्होंने बेटी को आगे की पढ़ाई से रोकने के लिए उसके बदले स्वभाव पर उंगली उठाई है। उन्होंने प्राचार्य से उसको अगली कक्षा में दाखिला न देने की गुजारिश की है।

loksabha election banner

गांव टुकसान निवासी रेखा ने विज्ञान वर्ग से इंटरमीडिएट की परीक्षा दो साल पहले पास की थी। छात्रा की इच्छा थी कि वो विज्ञान वर्ग से स्नातक कर भविष्य में प्रवक्ता बने। छात्रा ने पिछले साल बागला महाविद्यालय में बीएससी प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था। प्रथम वर्ष का रिजल्ट देरी से आने के कारण प्रवेश प्रक्रिया समय से नहीं हो सकी। छात्रा ने द्वितीय वर्ष में प्रवेश लेने के लिए आवेदन आदि कर दिया, लेकिन अब उसकी पढ़ाई की राह में उसके संरक्षक ही रोड़ा बन गए हैं। छात्रा के संरक्षक ने बागला महाविद्यालय में एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने बेटी की बदली मानसिकता पर उंगली उठाते हुए आगे न पढ़ाने की बात कही है। द्वितीय वर्ष के प्रवेश को निरस्त करने की मांग प्राचार्य से की है। अभिभावक के विरोध में आ जाने से छात्रा भी परेशान है। उसे अपना भविष्य खराब होने का डर सता रहा है। प्राचार्य को पत्र मिलने के बाद सदमे में आई छात्रा महाविद्यालय भी नहीं आ रही है। वह अपनी सहेलियों से भी संपर्क नहीं कर पा रही है। अब महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एके बंसल असमंजस में है कि करें तो क्या करें। एक ओर उन्हें छात्रा के भविष्य की ¨चता है तो वहीं अभिभावक के विरोध में भी जाने से प्राचार्य डर रहे हैं।

लिया था गोद :

गांव टुकसान निवासी कृष्ण मुरारी

ने करीब 15 साल पूर्व अपने साले की बेटी रेखा को पढ़ाने-लिखाने के लिए अपने पास रख लिया था। कृष्ण मुरारी के अनुसार इसके लिए गोदनामा आदि की कोई लिखापढ़ी नहीं की गई थी। उन्होंने बच्ची को स्कूल में प्रवेश दिलाया था तब अभिभावक के तौर पर उनका ही नाम दर्ज हुआ था। छात्रा ने बागला डिग्री कालेज में बीएससी प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया, तब तक तो सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा, लेकिन अचानक आठ दिसम्बर को बागला महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एके बंसल को उन्होंने पत्र लिखकर उसे आगे की कक्षा में प्रवेश न देने की बात कही। कृष्णमुरारी की मानें तो संतान न होने पर वे कई साल पूर्व अपनी भतीजी को घर ले आए थे। बेटी की तरह उसे पाला। शिक्षा दिलाई। अब उसकी नजर उनकी संपत्ति पर है। इसलिए उसकी शिक्षा बंद कराकर उसे उसके माता-पिता के पास भेज दिया है।

इनका कहना है-

महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एके बंसल की मानें तो छात्रा जब छोटी थी तब अपनी बुआ और फूफा के घर आ गई थी। उसके समस्त प्रमाण पत्रों में फूफा ही अभिभावक हैं। अब वे उसे आगे पढ़ाना नहीं चाहते हैं। छात्रा के माता-पिता को बुलाया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.