अपनों के रिकार्ड से भी अछूता महकमा!
संवाद सहयोगी, हाथरस : तमाम घपले-घोटालों में फंसे फरार समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइजर का कोई भी रि
संवाद सहयोगी, हाथरस : तमाम घपले-घोटालों में फंसे फरार समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइजर का कोई भी रिकार्ड समाज कल्याण अधिकारी के दफ्तर में नहीं है। जन सूचना अधिकार अधिनियम में जवाब न देने पर राज्य सूचना आयोग ने समाज कल्याण अधिकारी शंकरलाल पर 25 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका था। गजब तो इस बात का है कि समाज कल्याण विभाग में आरटीआई का पत्र भी गायब मिला। बाद में उसे लेने के बाद अब जो जवाब दिया है, उससे आयुक्त संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने डीएम से इस जुर्माने को वसूलने के लिए आरसी जारी करने के आदेश दिए हैं।
आरटीआइ एक्टिविस्ट गौरव अग्रवाल ने जिला समाज कल्याण अधिकारी से निलंबित समाज कल्याण सुपरवाइजर बहोरीलाल से जुड़ी सूचनाएं चाही थी। जवाब न मिलने पर राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। 19 अप्रैल 2012 को मांगी गई सूचना उपलब्ध न होने पर जिला समाज कल्याण अधिकारी शंकरलाल पर 21 मई 2014 को 25 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका गया था। बचाव के लिए जिला समाज कल्याण अधिकारी ने एक्टिविस्ट से आवेदन की मूल प्रति एक व पांच सितंबर को पुन: मांगी। जवाब में जो कहा गया है वह चौंकाने वाला है। कहा गया है कि कार्यालय में कार्यरत तमाम कार्मिक मृत या सेवानिवृत्त हो जाने से जो सूचनाएं हैं उनमें बहोरीलाल की नियुक्ति संबंधी पत्रावली विभाग के पास नहीं है। उनका स्थानांतरण विवरण व सेवा पुस्तिका भी विभाग के पास नहीं है। निलंबित होने तथा उनके वेतमान का विवरण तो दिया है, लेकिन वह कहां है और उसका मोबाइल नंबर क्या है, यह जानकारी भी विभाग के पास नहीं है। सुपरवाइजर के विभाग से संपर्क न हो पाने की स्थिति में उनके पास कोई जिम्मेदारी न होने की जानकारी दी गई है। इस कर्मचारी के संपत्ति आदि का विवरण भी विभाग के पास नहीं है। कर्मचारी के संबंध में विभागीय अधिकारी शंकरलाल द्वारा उपलब्ध कराए जवाब से राज्य सूचना आयुक्त सैयद हैदर अब्बासी भी संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में उनके ऊपर अधिरोपित अर्थदंड 25 हजार रुपये वसूलने के लिए डीएम से भूराजस्व की भांति आरसी जारी कर रिकवरी के आदेश दिए हैं।