भाई-बहन के रिश्ते का भी 'चीरहरण'
संवाद सहयोगी, हाथरस : बसई काजी के मनरेगा घोटाले में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को भी कलंकित किया गय
संवाद सहयोगी, हाथरस : बसई काजी के मनरेगा घोटाले में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को भी कलंकित किया गया है। भले ही बहन अपनी ससुराल में रहती हो, लेकिन मनरेगा अभिलेखों में वह उसकी पत्नी के रूप में दर्ज है, जबकि यह भाई अविवाहित है। पवित्र रिश्ते का चीरहरण सिर्फ सरकारी धन ठिकाने लगाने के लिए किया गया है।
बसई काजी की ग्राम प्रधान के नजदीकी रिश्ते से देवर कहे जाने वाले रामखिलाड़ी की शादी नहीं हुई है। मनरेगा के जॉब कार्ड संख्या 47171 में उसकी उम्र 32 साल दर्ज है। जबकि उसकी पत्नी के रूप में गुड्डी देवी का नाम दर्ज किया गया है। मजेदार पहलू यह है कि गुड्डी देवी की शादी अलीगढ़ के खुटैना में हो चुकी है। वह अपनी ससुराल में रह रही है। इनके जॉब कार्ड पर 12 जून 2012 से 8 जुलाई 2014 तक कुल 94 दिन काम दिया गया है। जिसमें रामखिलाड़ी को 83 दिन तथा गुड्डी देवी को 11 दिन काम दिया गया, जो भिन्न-भिन्न मस्टररोल संख्या से दिया गया। अब आरोप यह लग रहा है कि यह सब साजिश है, प्रधान को फंसाने की। एपीओ ने ब्लाक स्तर पर गलत फी¨डग की है, लेकिन क्या उम्र दर्ज करने आदि से नहीं लगता कि यह सब खेल फंड हड़पने के लिए रचा गया है? रोजगार सेवक पर भी आरोप है कि उसने गलत फी¨डग कराई, जबकि उसे तो केवल मस्टररोल में मजदूरों की मजदूरी भरने का ही अधिकार है।
इनका कहना है.
गुड्डी मेरी सगी ननद नहीं अपितु रामखिलाड़ी की बहन है। पूर्व डीएम सूर्यपाल गंगवार ने मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए उनके नाम से मस्टररोल जारी करने के आदेश दिए थे। अब अभिलेखों में ब्लाक कर्मचारियों ने इन महिलाओं को बिना अलग जॉब कार्ड जारी किए उनके नाम के साथ गलत रिश्ते जोड़ दिए हैं। इसके लिए वे ही दोषी हैं। उनके बच्चों ने मिट्टी आदि कार्य के लिए ट्रैक्टर आदि से काम किया है। यह कहां का नियम है कि प्रधान के बच्चे मनरेगा में काम नहीं कर सकते? मुझे फंसाने के लिए विरोधियों की साजिश दिख रही है।
-लक्ष्मी देवी, प्रधान बसईंकाजी।