अभियान तो चला, नतीजा सिफर
संवाद सहयोगी, हाथरस : केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान के चलते पूरे देश
संवाद सहयोगी, हाथरस : केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान के चलते पूरे देश में एक माह तक अभियान चलाया गया, लेकिन लोगों का गंदगी को लेकर नजरिया नहीं बदला, जिससे हालात जस के तस बने रहे। लोग दूसरों के घर व दरवाजे पर गंदगी फैलाने से बाज नहीं आ रहे।
गंदगी अभिशाप है। यह तो सभी जानते हैं, लेकिन इसके भयावह परिणामों की गंभीरता को हम नहीं समझ रहे, जिसके कारण हम गंदगी की ओर न तो ध्यान दे रहे और नहीं इसे हटाने के प्रति गंभीर हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग का अरबों का बजट गंदगी से फैलने वाली विभिन्न बीमारियों के निदान पर खर्च हो जाता है। समय आ गया है जब हमें इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर इसे जनांदोलन का रूप देना चाहिए। तभी हम इस महामारी के कलंक को मिटा पायेंगे।
-----
बनें संवेदनशील
गंदगी हमारे देश की गंभीर समस्या है। इसे मिटाने के लिए हमें गंभीर होकर प्रयास करना होगा तभी हम तमाम बीमारियों के चंगुल से भी मुक्त हो सकते हैं।
टिप्स :-
-पॉलीथिन का करें पूर्ण बहिष्कार।
-हाथों को साबुन से धोने की आदत डालें।
-नियमित सफाई कर कूड़े का निस्तारण करें।
-दूसरों के दरवाजे पर गंदगी कतई न डालें।
-डा.आरपी सिंह, निश्चेतक चिकित्सक।
इंसेट-
समय तेजी से बदल रहा है। ऐसे में हमारे खान-पान की आदतें भी बदल रही हैं। जिंदगी की भाग दौड़ में हम अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसीलिए हमें तत्काल गंदगी फैलाने की आदतों को छोड़कर सफाई अभियान में जुटना होगा। अगर हम इसे अपनी जीवन की दैनिक दिनचर्या में शामिल कर लें तो गंदगी नाम की चीज नहीं रहेगी।
-मुन्नालाल रावत, समाजसेवी।
-------------