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बाबू नहीं तो चपरासी संभालते हैं कुर्सी

By Edited By: Published: Wed, 03 Sep 2014 01:23 AM (IST)Updated: Wed, 03 Sep 2014 01:23 AM (IST)
बाबू नहीं तो चपरासी संभालते हैं कुर्सी

जागरण संवाददाता, हाथरस : जिले में करोड़ों की योजनाओं संचालित करने वाले सरकारी कार्यालयों में स्टाफ की भारी कमी है। एक-एक बाबू के पास कई-कई पटलों की जिम्मेदारी है। हालात ये हैं कि बाबू का काम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के हवाले तक कर दिया जाता है, ऐसे में गलतियों और घोटाले की आशंका बनी रहती है।

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जिला समाज कल्याण विभाग की बात करें तो नियमानुसार, एक पर पटल पर एक बाबू की तैनाती होनी चाहिए मगर यहां सिर्फ दो बाबू ही हैं। ये दोनों भी रिटायरमेंट के नजदीक हैं। यहां तीन बाबू अनियमितता के आरोप में निलंबित हैं।

इस विभाग पर अनुसूचित जाति व सामान्य जाति की छात्रवृत्ति व प्रतिपूर्ति शुल्क, विधवा व वृद्धावस्था पेंशन, शादी अनुदान, राष्ट्रीय पारिवारिक योजना, समाजवादी पेंशन जैसी कई योजनाओं की जिम्मेदारी है।

अब ज्यादातर काम कंप्यूटर से होता है मगर कई बाबू ऐसे हैं जिन्हें कंप्यूटर का ज्ञान नहीं है। अधिकारियों को ऐसे में कंप्यूटर से संबंधित कार्य खुद अपनी निगरानी में कराना पड़ता है।

इस विभाग में लाभार्थियों का सत्यापन करने के लिए कम से कम चार सुपरवाइजर और दो एकाउंटेंट होने चाहिएं मगर यहां सुपरवाइजर के चारों पद अरसे से खाली पड़े हैं। सत्यापन का कार्य एडीओ व ब्लाक कर्मियों से कराना पड़ रहा है जिससे धांधली होने की आशंका बनी रहती है। इस कार्यालय में एक एकाउंटेंट अलीगढ़ से अटैच किया गया है।

कुछ ऐसा ही हाल पिछड़ा वर्ग, विकलांग कल्याण व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का है। यहां भी बाबुओं के पद रिक्त पड़े हैं। दूसरे विभागों से अटैच किए गए बाबू ही काम संभाल रहे हैं। जिला अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के संयुक्त अधिकारी यश कुमार वर्मा ने स्वीकार किया है कि बाबुओं व अन्य कर्मचारियों की कमी है।

हो चुके हैं घोटाले

करोड़ों की योजनाओं को संचालित करने वाले इन विभागों में बाबुओं व अन्य स्टाफ की कमी से अव्यवस्था तो है ही घोटालों की आशंका भी बढ़ जाती है। पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग करोड़ों की चपत लगाई जा चुकी है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में 56 लाख के घोटाले हुए। यहां एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से बाबू का काम लिया जा रहा था। समाज कल्याण विभाग में भी 50 लाख से अधिक के घोटाले सामने आ चुके हैं।

इनका कहना है

लिपिकों की कमी के बारे में शासन को अवगत कराया जा चुका है। फिलहाल, बाबुओं को अटैच करके व्यवस्था बना दी गई है।

- जावेद अख्तर जैदी, सीडीओ।


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