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लोन न चुकाने पर डॉक्टर की फजीहत

By Edited By: Published: Fri, 25 Jul 2014 01:22 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jul 2014 01:22 AM (IST)
लोन न चुकाने पर डॉक्टर की फजीहत

संवाद सहयोगी, हाथरस : दिल्ली की फाइनेंस कंपनी का लोन न चुकाने पर एक डॉक्टर साहब को कोतवाली के चक्कर लगाने पड़ गए। एक वर्ष पूर्व लिए लोन की किश्त न चुकाने पर कंपनी के अधिकारी उनके क्लीनिक पहुंच गए। यहां बात न बनने पर कंपनी के लोग कोतवाली सदर आ गए, जहां डाक्टर को भी बुला लिया गया।

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शहर के विनोद विहार कालोनी निवासी डा. विकास कुमार शर्मा का मैंडू रोड पर अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित है। डा. विकास ने वर्ष 2011 में गाजियाबाद में 'फोकस इमेजिंग एंड डायग्नोसिस सेंटर' के नाम से अल्ट्रासाउंड सेंटर खोला था। यह सेंटर पार्टनरशिप में खोला गया था। वर्ष 2013 में पार्टनरशिप में आए विवाद के कारण प्रवीन कुमार निवासी गाजियाबाद ने सेंटर बंद करा दिया। 29 अगस्त 2013 को सेंटर बंद हो गया। सेंटर बंद होने से पहले डा. विकास शर्मा ने बजाज फिनसर्व दिल्ली से 10.20 लाख रुपये का बिजनेस लोन लिया था, जिसकी ईएमआइ 38 हजार रुपये प्रतिमाह है। एक अगस्त को उन्हें लोन की राशि मिली थी। छह किश्त चुकाने के बाद डाक्टर ने आगे की किश्त नहीं चुकाई। लोन न चुकाने पर कंपनी के लोग गुरुवार को उनके मैंडू रोड स्थित सेंटर पर पहुंचे, जहां लोन अदायगी को लेकर नोक-झोंक हो गई।

बात न बनने पर कंपनी के कर्मचारी कोतवाली सदर आ गए। यहां कर्मी जैयद हाफीज ने बताया कि बिजनेस बंद कर डा. शर्मा बिना किसी सूचना के हाथरस आ गए। आरबीआइ के सिविल साफ्टवेयर के जरिए उन्होंने डा. शर्मा का पता लगाया। हाफीज के अनुसार अभी लोन के 9,30,770 रुपये बकाया हैं। पुलिस डा. विकास शर्मा को कोतवाली ले आई। डा. शर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि जिस बिजनेस के लिए उन्होंने लोन लिया, वह बंद है। गाजियाबाद सेंटर शुरू होते ही वे लोन चुकाएंगे। डा. शर्मा सेंटर खुलवाने के लिए हाईकोर्ट व परिवार कल्याण में भी अपील कर चुके हैं। कोतवाली प्रभारी के समक्ष दोनों पक्षों में देर शाम तक बहस होती रही, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।

सेंटर में फंसा पेच :

गाजियाबाद स्थित सेंटर बंद कराने के लिए डा. विकास शर्मा के पार्टनर ने डीएम गाजियाबाद के यहां अपील की। सेंटर के रजिस्ट्रेशन में मालिक के स्थान पर प्रवीन कुमार का नाम अंकित था तथा रेडियोलाजिस्ट डा. शर्मा थे। डीएम ने मालिक की अपील स्वीकारते हुए सेंटर बंद करने के आदेश दे दिए। डा. शर्मा का दावा है कि सेंटर पार्टनरशिप में खुला और उनके पर 81 फीसद की हिस्सेदारी थी। ऐसे में उन्हें बिना किसी सूचना के सेंटर बंद करना गलत था। डा. शर्मा के अनुसार हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई के निर्देश डीएम गाजियाबाद को दिए थे, लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई।

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