कितनी हुई बारिश.. कैसे लगे पता?
संवाद सहयोगी, हाथरस : मानसून में बारिश की सही स्थिति की जानकारी किसानों को नहीं मिल पा रही। इसी कारण किसान योजनाबद्ध तरीके से इस मौसम की फसल नहीं पैदा कर पा रहे हैं। वर्षा मापन को लेकर प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी लचर हैं। अपने अंदाजे व तहसीलों के टूटे-फूटे आंकड़ों पर ही कृषि विभाग निर्भर है।
मानसून का बेसब्री से इंतजार कर रहे किसानों को पिछले कुछ दिनों में पड़ी बारिश से राहत जरूर मिली है, लेकिन उस स्तर पर नहीं, जैसा उन्होंने सोचा था। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार जुलाई में बारिश कम हुई है। पूर्व में मानसून की सही स्थिति की जानकारी न होने के कारण किसान खरीफ फसलों के लिए पूर्व में तैयारी नहीं कर पाते। जिला स्तर की बात करें तो यहां वर्षा मापन के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। तहसीलों में आज भी पुराने तौर तरीकों से वर्षा की स्थिति का पता लगाया जाता है। केवल कलक्ट्रेट में कंप्यूटराइज्ड यंत्र लगा है। इससे जानकारी सीधे मौसम विभाग को जाती है। जिले में बारिश की स्थिति का जायजा लेने के लिए सभी तहसीलों से आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं।
तहसील सदर में लगे वर्षा मापन यंत्र को क्षतिग्रस्त हुए कई वर्ष हो चुके हैं। ऐसे में बाबू टूटे यंत्र पर लगे जग में एकत्रित हुए पानी को वीकर में डालकर वर्षा का पता लगाते हैं। अन्य तहसीलों में यह व्यवस्था भी नहीं है। यही आंकड़े कलक्ट्रेट व कृषि विभाग को दिए जाते हैं। अब प्रशासनिक आंकड़ों को सही माना जाए तो जुलाई में कुल 77 मिलीमीटर बारिश हुई है। खेड़ा परसौली के किसान कुंवरचंद कहते हैं कि कृषि विभाग से मानसून की सही जानकारी नहीं मिल पाती। पिछले वर्ष के आधार पर ही अंदाजा लगाते हैं। गांव मघटई के किसान शिव नारायण सिंह बारिश की सही जानकारी को अहमियत देते हैं। इससे योजनाबद्ध तरीके से खेती में मदद मिलती है।
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इनका कहना है
वर्षा मापन यंत्र सभी तहसीलों में है। यदि यंत्रों में कोई दिक्कत है तो उसको सही कराया जाएगा, जिससे वर्षा की सही जानकारी मिले और किसानों को लाभ हो।
शमीम अहमद, डीएम।
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