अफसर नहीं जानते कितने हैं भिखारी
शासनादेश पर भी चिन्हीकरण को लेकर कोई तैयारी नहीं हुई
भिखारियों के लिए पेंशन और पुनर्वास की योजना चल रही
कार्यालय संवाददाता, हाथरस :
जिले में भिखारियों के पुनर्वास की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हो रही, न ही सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगते लोगों की दशा सुधारने का प्रयास। शासनादेश के बावजूद भिक्षाटन करने की उनकी मजबूरी तलाशने की कोई कोशिश जिले में नहीं हो रही। अफसरों को यह तक नहीं मालूम कि जिले में कितने भिखारी हैं। इससे साफ है कि अफसर भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए कितने गंभीर हैं।
शासन ने रेलवे, बस स्टेशन, मंदिर व मस्जिदों के आसपास के क्षेत्र में अभियान चलाकर भिखारियों को चिन्हित करने के निर्देश अफसरों को दिए थे। प्रशासन का मानना है कि स्थाई भिखारी इन्हीं स्थानों पर रहते हैं। शासन ने चिह्नित भिखारियों को प्रदेश के मथुरा, फैजाबाद व लखनऊ स्थित तीन राजकीय भिक्षुक गृहों में पुनर्वासित करने के निर्देश दिए। उन्हें भोजन व चिकित्सा सुविधा के साथ कुर्सी बुनाई व बढ़ई गिरी जैसे व्यवसाय में प्रशिक्षण भी दिया जाना है। भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने के लिए भिखारियों की आयु व शारीरिक स्थिति के आधार पर सर्वे करने को कहा गया है।
शासन का निर्देश है कि भिखारियों को पुनर्वासित करने की व्यवस्था इस प्रकार की जाए कि सार्वजनिक स्थलों पर एक भी भिक्षुक दिखाई न पड़े, क्योंकि एक तो इससे प्रदेश की छवि खराब होती है। दूसरे उनके आपराधिक कृत्यों में लिप्त होने की आशका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
बिहार के मूल निवासी भिखारियों के लिए वहा के जिला प्रशासन से बात करने के निर्देश दिए। अफसोस कि जिले में आज तक सर्वे शुरू नहीं हो सका है।
सूची के इंतजार में अफसर
जिला समाज कल्याण अधिकारी यश कुमार वर्मा का कहना है कि हमें केवल प्राप्त सूची के आधार पर भिखारियों को पुनर्वास, पेंशन, चिकित्सा व अन्य सुविधाएं मुहैया करानी हैं। मगर, सूची न मिलने के कारण योजना पर काम शुरू नहीं हो सका है।
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