दंडी स्वामी ताल में संरक्षित होगा जल
हरदोई, जागरण संवाददाता : तालाश तालाबों की अभियान और जागरण की पहल पर शाहपुर बिनौरा के मजरा बेलहइया स्
हरदोई, जागरण संवाददाता : तालाश तालाबों की अभियान और जागरण की पहल पर शाहपुर बिनौरा के मजरा बेलहइया स्थित दंडी स्वामी तालाब को पुनर्जीवन मिलना शुरू हो गया है। प्रधान ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर और तालाब की महत्ता को देखते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की मद से खोदाई के साथ ही सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू करा दिया है। तालाब की खोदाई शुरू होने से लोगों को बरसात के पानी के संरक्षण, उपलब्धता की उम्मीद बंधी हैं, वहीं ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मुहैया हो रहा है।
गहराते जल संकट और तालाबों के मिटते अस्तित्व से गांवों में पानी की समस्या होने लगी है। गांव में लोगों को पशुओं को पिलाने और नहलाने के लिए भी तालाब में पानी नहीं मिल पा रहा। हरियावां विकास खंड के शाहपुर बिनौरा के मजरा बेलहइया में दंडी स्वामी के नाम से मशहूर तालाब देखरेख के अभाव और मिट्टी न निकाले जाने से पटता चला गया। उथले हो रहे तालाब में पानी का संरक्षण नहीं हो पा रहा था। इससे गर्मी शुरू होते ही तालाब में पानी समाप्त हो जाता है। पानी की उपलब्धता न होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बेलहइया के 200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैले तालाब में पानी की उपलब्धता होने पर मछलियां हुआ करती थी। पानी के समाप्त होने से जल जीव भी समाप्त हो गए। तालाब के नाम पर तराई की खेती जैसा मैदान बन गया था। गांव में होने वाली पानी की समस्या को देखते हुए प्रधान ने ग्रामीणों के साथ राय मशविरा कर तालाब की खोदाई और सौंदर्यीकरण की कार्ययोजना बनाई। कार्ययोजना को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति मिली तो ग्रामीणों को तालाब के सौंदर्यीकरण की उम्मीद बंध गई। प्रधान ने तालाब की खोदाई का कार्य शुरू करा दिया है। खोदाई का कार्य शुरू होने से ग्रामीण में उल्लास है। लोगों ने प्रधान के जल संरक्षण और जल उपलब्धता की दिशा में शुरू किए गए प्रयास को सहयोग देना शुरू किया है।
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ग्रामीणों की जुबानी
शाहपुर बिनौरा के प्रधान मुन्नूलाल का कहना है कि तालाबों को जल स्त्रोत होने के कारण पवित्र माना जाता रहा है। पहले लोग तालाबों, नदी व सरोवर की पूजा करते थे। समय के साथ हुए बदलाव में लोगों ने तालाबों के महत्व को नकारना शुरू किया। हालात ये हुए कि गर्मी में तालाबों में पानी ही नहीं बचा है। पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए दंडी स्वामी के तालाब को पुनर्जीवन के लिए चुना गया है। ग्रामीणों के सहयोग से तालाब के पुनर्जीवन का प्रस्ताव तैयार कराकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की मद से खोदाई का कार्य शुरू करा दिया गया है। उनका कहना है कि ग्राम पंचायत में आने वाले सभी तालाबों का जीर्णोद्धार कराए जाने का संकल्प लिया है।
-शिवमंगल कुमार का कहना है कि तालाबों को पवित्र मानते हुए पहले लोग इन पर कब्जा करने से कतराते थे, लेकिन समय के बदलाव और भूमि की बढ़ती कीमतों से लोगों ने तालाबों को नहीं छोड़ा है। तालाबों पर होने वाले कब्जा और देखरेख के अभाव में इनका अस्तित्व ही सिमटता चला गया है। उनका कहना है कि गांव में तालाब की खोदाई से उम्मीद बंधी है कि जरूरत पर लोगों को तालाब में पानी की उपलब्धता हो सकेगी।
-योग शिक्षक रघुनंदन ¨सह का कहना है कि तालाबों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। पूर्वजों ने तालाबों की यूं ही परिकल्पना नहीं की थी, उनकी परिकल्पना थी कि बरसात के पानी को तालाब होने पर एकत्र कर संरक्षित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि तालाबों की सुरक्षा और देखरेख के लिए प्रशासन पर निर्भर न रहकर लोगों को जागरूक रहना चाहिए। वह कहते हैं कि तालाब की खोदाई से अब पानी की उपलब्धता हो सकेगी।
-तारक ¨सह का कहना है कि तालाब को पुनर्जीवन मिलने से लोगों को जरूरत पर पानी की उपलब्धता हो सकेगी। तालाब की खोदाई शुरू होने से लोगों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध होने लगा है। इससे लोगों को रोजगार की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ रहा। उनका कहना है कि तालाब की खोदाई के साथ ही सौंदर्यीकरण से गांव में लोगों को एक अच्छे स्थान की उपलब्धता भी संभव हो जाएगी।
-नीलेश कुमार का कहना है कि तालाबों पर अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध प्रशासन को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। उनका कहना है कि लोगों को तालाबों पर कब्जा नहीं करना चाहिए। यह जनहित के लिए ही बनाए गए हैं। इनके संरक्षण के लिए सभी को एक साथ सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गांव में तालाब बन जाने से लोगों को पानी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।