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सियासत की विरासत संभालने की बेताबी

हरदोई, जागरण संवाददाता : राजनीति के प्रति युवाओं का रुझान कोई नई बात नहीं है। अब तो युवा सियासत की व

By Edited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 01:02 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2015 01:02 AM (IST)
सियासत की विरासत संभालने की बेताबी

हरदोई, जागरण संवाददाता : राजनीति के प्रति युवाओं का रुझान कोई नई बात नहीं है। अब तो युवा सियासत की विरासत संभालने को बेताब है। पंचायत चुनावों के जरिये सियासत में जोरदारी के साथ इनका आगाज हुआ है। शुरुआत छोटे पद से हुई है, लेकिन निशाने पर ब्लाक प्रमुख की कुर्सी है। ताना बाना भले ही बड़े बुजुर्गों ने बुन दिया हो, लेकिन मोर्चे पर यंगिस्तान ही है।

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जनपद में शायद ही कोई शख्स हो जो राजनीति में परमाई लाल के परिवार से अनजान हो। परमाई लाल अपने जीवन काल में कई बार विधायक, सांसद और मंत्री रहे तो उनके बड़े पुत्र विपिन बिहारी भी विधायक रहे। उनके निधन के बाद उनकी बड़ी बहू राजेश्वरी अहिरोरी की ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत की अध्यक्ष के बाद विधायक तक बनी। मौजूदा समय में वे सांडी से विधायक हैं। छोटी बहू ऊषा वर्मा तीन बार सांसद रह चुकी हैं, सूबे की सरकार में राज्यमंत्री भी रही हैं। तीसरी पीढ़ी का आगाज सियासत में 2010 में ही हो गया था। तब राजेश्वरी की पुत्री रीतिका वर्मा अहिरोरी की ब्लाक प्रमुख बनी थीं। बीती गर्मियों में उनकी शादी हो गई तो अब राजेश्वरी ने अपने छोटे पुत्र को भी सियासत में उतार दिया है। आकाश वर्मा ने अहिरोरी विकास खंड की बदौली सीट से बीडीसी के लिए बुधवार को नामांकन किया। अहम बात यह कि उनके खिलाफ कोई दूसरा नामांकन नहीं हुआ और अब निर्विरोध निर्वाचन तय है। अहिरोरी का ब्लाक प्रमुख पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, लिहाजा आकाश का निशाना आसानी से समझा जा सकता है।

यंगिस्तान की इस कड़ी में एक और कद्दावर नेता के लाड़ले भी मैदान में आ डटे हैं। संडीला से लगातार तीन बार विधायक और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अब्दुल मन्नान के दो बेटे अब्दुल राफे और अब्दुल रावे बेंहदर विकास खंड की अलग-अलग सीटों से निर्विरोध निर्वाचित होने को हैं। श्री राफे के विरुद्ध असही आजमपुर और श्री रावे के विरुद्ध रसूलपुर आंट से किसी ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया। यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि श्री मन्नान ने अपनी राजनीतिक पारी बेंहदर के ब्लाक प्रमुख पद से शुरू की थी। श्री मन्नान से पहले उनके पिता अब्दुल जब्बार भी बेंहदर के ब्लाक प्रमुख रहे थे। बेंहदर के ब्लाक प्रमुख का पद अनारक्षित है, ऐसे में अब्दुल राफे और अब्दुल रावे में से किसी एक का ब्लाक प्रमुख चुना जाना लगभग तय है।

अजीत का पहले ही हो चुका निर्विरोध निर्वाचन : हरदोई संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद अंशुल वर्मा के भाई अजीत वर्मा का निर्विरोध निर्वाचन हरपालपुर विकास खंड की सतौथा प्रथम सीट से बीडीसी के लिए हो चुका है। उनका भी निशाना हरपालपुर के ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर है। यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।


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