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हुजूर, बिना बजट बेकार ही है माथापच्ची

हरदोई, जागरण संवाददाता : आज फिर से जिले के विकास का खाका खींचा जाएगा। जिला योजना की बैठक में विभिन्न

By Edited By: Published: Thu, 02 Jul 2015 01:04 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2015 01:04 AM (IST)
हुजूर, बिना बजट बेकार ही है माथापच्ची

हरदोई, जागरण संवाददाता : आज फिर से जिले के विकास का खाका खींचा जाएगा। जिला योजना की बैठक में विभिन्न विभागों के प्रस्तावों पर प्रभारी मंत्री की मुहर लगेगी। मुहर लगने से पहले घंटों माथापच्ची होगी। अहम सवाल यह है कि महज प्रस्तावों पर मुहर भर लग जाने से क्या जिला विकसित हो जाएगा। सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ, क्योंकि पिछले वर्ष की जिला योजना बैठक में जिन प्रस्तावों पर मुहर लगी थी, उनके सापेक्ष बजट ही नहीं मिल पाया। कुछ विभागों की झोली तो पूरी तरह खाली ही रह गई। जाहिर सी बात है कि प्रस्तावों पर मुहर लगने से नहीं, बल्कि लक्ष्य के सापेक्ष शत प्रतिशत बजट मिलने से ही कार्य पूरे होंगे।

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जिला योजना की बैठक में पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान होने वाले विकास कार्यों के प्रस्तावों पर चर्चा के बाद मंजूरी दी जाती है। इसके प्रस्ताव विभिन्न जनप्रतिनिधियों और योजना समिति के सदस्यों के माध्यम से लिए जाते हैं। विभागवार चर्चा के बाद कार्य योजना को समिति की मंजूरी मिल जाती है। इस मंजूरी के बाद ही विभाग को बजट जारी होना शुरू होता है। आम तौर पर हर वर्ष जिला योजना की बैठक में जो प्रस्ताव पारित होते हैं, उन्हें पूरा बजट ही नहीं मिल पाता। बजट न मिलने के कारण विकास कार्यों पर तो दुष्प्रभाव पड़ता ही है, प्रस्ताव देने वाले जनप्रतिनिधि भी असहज महसूस करते हैं। आलम यह है कि गत वित्तीय वर्ष यानि 2014-15 में दो अरब 42 करोड़ 56 लाख रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी। ग्रामीण आवासों के लिए स्वीकृत प्रस्तावों से कहीं अधिक की धनराशि मिलने के कारण आंकड़े तो सुधर गए, लेकिन हालात नहीं बदले। बजट के अभाव में कई विभाग के विकास कार्य शुरू ही नहीं हो पाए।

इन विभागों को नहीं मिली फूटी कौड़ी : गत वित्तीय वर्ष के दौरान कई विभागों को कार्य कराने के लिए प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई। बारी जब बजट देने की आई तो तिजोरी पर ताला जड़ दिया गया। उद्यान विभाग, मत्स्य विभाग, राजकीय लघु ¨सचाई विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, खेलकूद विभाग, होम्योपैथी चिकित्सा, ग्रामीण पेयजल विभाग को फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। यह हाल तब है जबकि उद्यान विभाग के 10 लाख 12 हजार रुपये, मत्स्य विभाग के एक लाख 80 हजार रुपये, राजकीय लघु ¨सचाई के आठ करोड़ 38 लाख रुपये, माध्यमिक शिक्षा के सात करोड़ 77 लाख 11 हजार रुपये के, खेलकूद विभाग के 50 लाख रुपये, होम्योपैथी चिकित्सा के दो करोड़ 85 लाख रुपये प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी। पिछड़ा वर्ग कल्याण के दो करोड़ रुपये के प्रस्ताव मंजूर हुए थे, लेकिन फूटी कौड़ी नहीं मिली।

किस विभाग को मंजूरी के सापेक्ष क्या मिला : (लाख में)

विभाग स्वीकृत अवमुक्त

नि:शुल्क बो¨रग 1057 636.76

पशुपालन 469.54 37.33

दुग्ध विकास 498.99 251.74

खादी एवं ग्रामोद्योग 5.00 1.00

विज्ञान प्रौद्योगिकी 10.00 4.50

अल्पसंख्यक कल्याण 107.30 33.56।


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