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कमीशनबाजी की भेंट चढ़ा चश्मा वितरण

हरदोई, जागरण संवाददाता: हद हो गई कि बच्चों की आंखों का काजल तक नहीं छोड़ा। विद्यालय जाने वाले बच्चों

By Edited By: Published: Sun, 25 Jan 2015 01:05 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jan 2015 01:05 AM (IST)
कमीशनबाजी की भेंट चढ़ा चश्मा वितरण

हरदोई, जागरण संवाददाता: हद हो गई कि बच्चों की आंखों का काजल तक नहीं छोड़ा। विद्यालय जाने वाले बच्चों की आंखों की जांच कर उन्हें नि:शुल्क चश्मा वितरण कराने की व्यवस्था पूरी तरह से कमीशनबाजी की भेंट चढ़ गई। कहने को तो बच्चों को चश्मा दिए गए पर हकीकत इसकी पोल खोल रही है। विद्यालयों में चश्मा वितरण की बात कही जा रही है पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पता तक नहीं है। वैसे तो हर वर्ष यही खेल होता है, इस वर्ष को संख्या और धनराशि भी बढ़ा दी गई ऐसे में तो खुलेआम लूट ही मच गई।

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राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूली छात्रों की आंखों की जांच और आवश्यता पड़ने पर उन्हें चश्मा दिया जाता है। व्यवस्था देंखे तो स्कूल आई स्क्रीनिंग प्रोग्राम में स्वास्थ्य विभाग की टीम बच्चों की जांच करती है और फिर उनका नंबर लेकर चश्मा दिया जाता है। लेकिन यह योजना पूरी तरह से कमीशनबाजी की भेंट चढ़ गई है। गत वर्षो से इस वर्ष लक्ष्य भी बढ़ा दिया गया है। चालू वर्ष में देखा जाए तो 4050 बच्चों को प्रति बच्चा 275 रुपये के हिसाब से 11 लाख से अधिक धनराशि जारी की गई थी। अब स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि 2147 बच्चों को चश्मा वितरण भी करा दिया गया, लेकिन हकीकत पूरी पोल खोल रही है। स्वास्थ्य ंिवभाग के अधिकारी विद्यालयों में चश्मा वितरण की बात कह रहे हैं तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जानकारी तक नहीं है। अधिकांश खंड शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि निरीक्षण के समय उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली। तो फिर चश्मा किसे और कहां बांट दिए गए। बीएसए डा. बृजेश मिश्रा का कहना है कि वह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर उचित कदम उठाएंगे।

क्या हुआ खेल

बच्चों की आंखों की जांच कर उन्हें चश्मा देने के लिए प्रति बच्चा 275 रुपये खर्च किए जा रहे हैं। एक तो अधिकांश विद्यालयों में खेल ही हुआ, कुछ विद्यालयों में खाना पूर्ति कर चश्मा बांट भी दिए गए, लेकिन उनकी गुणवत्ता ही पूरी व्यवस्था की पोल खोल रही है।


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