आन लाइन बिक रहा 'सरकार का सपना'
पंकज मिश्रा, हरदोई 'सपना' तो अच्छा था पर बिखर गया। विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा की महारथ के लिए
पंकज मिश्रा, हरदोई
'सपना' तो अच्छा था पर बिखर गया। विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा की महारथ के लिए दिए लैपटाप दुर्दशा का शिकार हो गए। मंशा थी कि विद्यार्थी उच्च शिक्षा के साथ ही लैपटाप के माध्यम से आधुनिकीकरण की दौड़ में भी शामिल हो जाएंगे, पर हश्र इतना बुरा होगा यह किसी ने सोचा तक नहीं होगा। ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं शहरों में भी पढ़ाई लिखाई के बजाय लैपटाप मनोरंजन का साधन और खिलौना बन गए। सरकारी लैपटाप की 'इज्जत' सरेआम नीलाम होने लगी और अब तो 'सरकार' का तकनीकी शिक्षा देने के सपने की आन लाइन बिक्री हो रही है। व्यवसायिक वेबसाइट पर लैपटाप खुलेआम बेंचे जा रहे हैं।
चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर समाजवादी पार्टी की सरकार ने इंटर पास उच्च शिक्षा जारी रखने वाले विद्यार्थियों को लैपटाप दिए थे। लैपटाप वितरण मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना मानी गई थी। सरकार की मंशा थी कि लैपटाप का उपयोग कर छात्र छात्राएं तकनीकी शिक्षा में महारथ हासिल करेंगे, लेकिन सरकार का यह सपना साकार होने के पहले ही टूटने लगा। जिस तरह से चुनाव के पहले और सरकार बनने के बाद लैपटाप की आंधी चली थी वैसे ही युवाओं का लैपटाप से मोहभंग भी हो गया। ग्रामीण क्षेत्रों में लैपटाप मनोरंजन का साधन बन गए। पढ़ाई लिखाई के बजाय मोबाइल डाउन लोडिंग होने लगी। तो शहरों में दुकानों से लेकर कार्यालयों तक लैपटाप कमाई का जरिया बन गए। वैसे तो वितरण के कुछ दिनों बाद से ही लैपटाप की बिक्री होने लगी, लेकिन अब तो आन लाइन लैपटाप बेचे जा रहे हैं। व्यवसायिक वेबसाइट ओएलएक्स और क्विकर पर सरकारी लैपटापों की कीमत लग रही है। जिला ही नहीं पूरे प्रदेश में सरकारी लैपटाप की आन लाइन बिक्री हो रही है। खरीदने और बेंचने वालों ने बाकायदा मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री की फोटो के साथ लैपटाप की विभिन्न अंगों से फोटो और उसकी कीमत के साथ अपना मोबाइल नंबर डाल रखा है। आठ हजार से 12 हजार रुपये की कीमत पर लैपटाप की बोली लगाई जा रही है।
25,803 को बांटे गए थे लैपटाप
जिले में वितरित हुए लैपटाप में अगर देखे तो मार्च 2013 में पहले चरण में करीब 25 हजार 803 छात्र छात्राओं को लैपटाप दिए गए थे। उसके बाद फिर से कराए गए सर्वे में 7995 लैपटाप से वंचित पात्र और मिले। इन सभी को लैपटाप देने की बात कही गई थी लेकिन धीरे धीरे योजना फाइलों में दब गई और लोक सभा चुनाव के बाद से तो ठप क्या बंद ही हो गई है।
बिक्री नहीं पढ़ाई के लिए हैं लैपटाप
जिला विद्यालय निरीक्षक जेपी मिश्रा कहते हैं कि सरकार की यह योजना काफी महत्वाकांक्षी थी। लैपटाप विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा ही नहीं भविष्य का सहारा हैं। उनके अनुसार सरकार ने छात्र छात्राओं को पढ़ाई लिखाई के लिए लैपटाप दिए थे। इन्हें बेचना सरासर गलत है। आन लाइन बिक्री के बारे में उन्होंने कोई जानकारी न होने की बात कही है।