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परीक्षा केंद्र निर्धारण को लेकर असंमजस बरकरार

हरदोई, जागरण संवाददाता : बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण को लेकर जहां विभागीय, प्रशासनिक अधिकारी अभी व

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 06:51 PM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 06:51 PM (IST)
परीक्षा केंद्र निर्धारण को लेकर असंमजस बरकरार

हरदोई, जागरण संवाददाता : बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण को लेकर जहां विभागीय, प्रशासनिक अधिकारी अभी विद्यालयों को तय नहीं कर पाए हैं, वहीं विद्यालय संचालकों में स्कूल को परीक्षा केंद्र बनवाए जाने के लिए तेजी से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।

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परिषद की ओर से भले ही परीक्षा की तिथियों की घोषणा कर दी गई हो, लेकिन जिले में अभी तक परीक्षा केंद्रों का निर्धारण नहीं हो पाया है। विभागीय, प्रशासनिक अधिकारी 521 विद्यालयों में से केंद्र के लिए सूची तैयार नहीं कर पाए हैं। संचालक अपने-अपने विद्यालय को परीक्षा केंद्र बनवाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं। जिले में अधिकारियों की माने तो अनर्ह और डिबार विद्यालयों को वर्ष 2015 में होने वाली परीक्षा के लिए केंद्र नहीं बनाया जाएगा। ऐसे में जिले में पात्रता की श्रेणी में करीब 200 विद्यालय ही आ रहे हैं। जबकि पिछले वर्ष हुई परीक्षा में 318 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया था।

विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी में कहा गया है कि परिषद के मानकों का पालन कराया गया तो एक तहसील में औसतन 30 से 35 विद्यालय ही परीक्षा केंद्र बन पाने की श्रेणी में आ रहे हैं। जबकि एक तहसील में परीक्षार्थियों की संख्या को देखते हुए कम से कम 170 से 190 परीक्षा केंद्रों की जरूरत होगी। जिला विद्यालय निरीक्षक जेपी मिश्र का कहना है कि पात्र विद्यालयों की छंटनी कराई जा रही है। जल्द ही सूची तैयार कराकर अनुमोदन के लिए जिलाधिकारी को पत्रावली उपलब्ध कराई जाएगी।

..तो, छात्राओं को जाना पड़ेगा दूसरे विद्यालयों में परीक्षा देने : परिषद के अनर्ह और डिबार विद्यालयों को परीक्षा केंद्र न बनाए जाने के मानकों का शत प्रतिशत पालन हुआ तो जिले में छात्राओं को कई-कई किलोमीटर दूर परीक्षा देने के लिए जाना पड़ेगा। छात्राओं के फार्म भरवाने वाले विद्यालयों के संचालकों के सामने नई समस्या खड़ी हो गई। परीक्षा केंद्र दूर होने की दशा में छात्राओं के अभिभावकों को भी दिक्कतें उठानी पड़ेगी।

कोर्ट की शरण में जा सकते हैं संचालक : परीक्षा केंद्र निर्धारण में विद्यालय का नाम कटने वाले विद्यालयों के संचालकों ने सूची के सार्वजनिक होते ही कोर्ट की शरण लेने का मन बना लिया है। संचालकों का कहना है कि परिषद, प्रशासन और विभाग से केंद्र न बनने पर वह कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। कोर्ट से ही कुछ राहत की उम्मीद दिख रही है।


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