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खुशी के धमाके कर सकते हैं बहरा

हरदोई, जागरण संवाददाता : दीपावली पर खुशी का इजहार करने के लिए बेहिसाब पटाखे चलाए जाते हैं। इन पटाखों

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 06:01 PM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 06:01 PM (IST)
खुशी के धमाके कर सकते हैं बहरा

हरदोई, जागरण संवाददाता : दीपावली पर खुशी का इजहार करने के लिए बेहिसाब पटाखे चलाए जाते हैं। इन पटाखों से एक ओर जहां भयंकर वायु प्रदूषण होता है, वहीं ध्वनि प्रदूषण भी कई गुना बढ़ जाता है। तेज आवाज के पटाखे जिस तरह बाजार में मिल रहे हैं और लोग बढ़ चढ़ कर इन्हें खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं, वह खतरनाक संकेत है। यह पटाखे ध्वनि प्रदूषण के मानकों पर बिल्कुल खरे नहीं उतरते। इन पटाखों के कारण इन्सान की श्रवण शक्ति पर जबर्दस्त आघात होता है। इसके चलते कानों में कई तरह की परेशानियों से लोगों को जूझना पड़ता है। विश्व स्तर पर देखा जाए तो सामान्य ध्वनि का मानक 40 से 50 डेसीबल है मगर दीपावली पर कई पटाखे तो इससे चार गुनी आवाज करते हैं।

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लगातार बढ़ रहा है ध्वनि प्रदूषण : तेज आवाज करने वाले जितने भी उपकरण हैं, वे ध्वनि प्रदूषण के जनक हैं और सामान्य मानक से कहीं ज्यादा ध्वनि पैदा करते हैं। आम तौर पर ध्वनि का मानक अब 80 डेसीबल मान लिया गया है। 80 डेसीबल का एक्सपोजर साधारण आदमी सिर्फ आठ घंटे ही बर्दाश्त कर सकता है। इससे अधिक समय तक इस एक्सपोजर में रहने पर कानों की श्रवण शक्ति प्रभावित होती है।

खतरे का लगा लीजिए अंदाज : ध्वनि प्रदूषण किस तरह हमें नुकसान पहुंचाता है, इसका हमें अंदाजा नहीं होता है। अधिकांश पटाखे 125 से 200 डेसीबल की आवाज में आ रहे हैं, जबकि मानक 80 डेसीबल हैं। पांच डेसीबल बढ़ने पर ही एक्सपोज आधा रह जाता है।

ध्वनि प्रदूषण से होने वाली परेशानियां : नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डा. डीके गुप्ता का कहना है कि अधिकांश पटाखे 115 डीबी से अधिक आवाज में आ रहे हैं। इसके लिए कानों पर पेड लगाना बहुत जरूरी है। इस हाई फ्रिक्वेंसी आवाज से कान का पर्दा फट सकता है। कान के पर्दे के पास की हड्डी टूट सकती है। कान की नस फट सकती है और इसका कोई इलाज नहीं है। आवाज सुनाई देगी। मगर समझ में नहीं आएगी।

आठ से दस फीसद लोग होते हैं प्रभावित : यूं तो सरकारी अस्पतालों के पास प्रतिवर्ष ध्वनि से प्रभावित बीमारों का कोई आंकड़ा नहीं होता, मगर शहर के कई विशेषज्ञों का मानना है कि आम तौर पर रोज आने वाले मरीजों के अनुपात में दीपावली के बाद के कुछ दिनों में पटाखों के कारण कान की परेशानी को लेकर करीब 10 फीसद लोग अधिक आते हैं।

यह है श्रवण शक्ति की क्षमता

ध्वनि एक्सपोजर समय

80 डीबी 8 घंटे

85 डीबी 4 घंटे

90 डीबी 2 घंटे

95 डीबी 1 घंटा

100 डीबी आधा घंटा

105 डीबी 15 मिनट

110 डीबी 7.5 मिनट

115 डीबी साढ़े तीन मिनट

120 डीबी डेढ़ मिनट


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