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देश के भविष्य का चुनाव और जानवरों पर हो रही बहस

By Edited By: Published: Fri, 18 Apr 2014 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 18 Apr 2014 01:01 AM (IST)
देश के भविष्य का चुनाव और जानवरों पर हो रही बहस

हरदोई, जागरण संवाददाता: राजनीति में कब और क्या चर्चा और बहस का मुद्दा बन जाए कहा नहीं जा सकता। महापुरुष ही नहीं देवी देवताओं पर भी बहस होती रही। चुनाव आयोग के अंकुश से देवी देवता तो चुनाव से दूर हो गए लेकिन अब 16 वीं लोक सभा चुनाव में जानवर ही बहस का मुद्दा बन गए हैं। यह अलग बात है कि चुनाव देश के भविष्य का है और बहस जानवरों पर हो रही है। ऐसा नहीं कि नेताओं को बहस और मुद्दों का अहसास नहीं है, सब कुछ जानने के बाद विरोधियों को हर तरह से पीछे करने के लिए जानवरों पर भी बहस हो रही है। शाहाबाद में जनसभा को संबोधित करने आए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बहस को अपने संबोधन में भी शामिल किया।

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सत्ता के संग्राम में पार्टियां चुनावी घोषणा पत्र जारी कर उन्हीं मुद्दों पर चुनाव मैदान में हैं। वैसे तो बहस के लिए बहुत से मुद्दे हैं। देश की आर्थिक हालात हो या फिर सीमाओं की सुरक्षा। आतंकवाद हो या फिर बढ़ती हुई मंहगाई। केंद्र की कुर्सी तक पहुंचने में जुटी पार्टियां इनसे निजात दिलाने का दावा तो कर रही हैं, लेकिन नेताओं की जनसभाओं में मुद्दों से ज्यादा जानवरों पर बहस हो रही है और तो और अब तो कटाक्ष में भी जानवरों का नाम लिया जाने लगा है। कहीं गुजरात से उत्तर प्रदेश में भेजे गए शेर बहस का मुद्दा बन जाते तो कहीं उत्तर प्रदेश के गुजरात भेजे गए लकड़बग्घों पर बहस होती है। नेता जी की भैंस चर्चा चुनावी बहस का मुद्दा बन जाती, अब तो बैल भी बहस के मुद्दे में शामिल हो गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री की जनसभा में भी जानवरों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात से आए दो शेरों को उन्होंने इटावा में चंबल घाटी के जंगल में बंद कर दिया है अब वह भागकर नहीं जा पाएंगे और शेरों के बदले उन्होंने गुजरात में उत्तर प्रदेश से लकड़बग्घे भेज दिए हैं, हालांकि मुख्यमंत्री का कहना था कि शेरों को चुनाव में बहस का मुद्दा बनाने वालों को जवाब दे रहे हैं लेकिन देश के भविष्य के चुनाव में जानवरों पर बहस होना ठीक नहीं है।


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