पशु मेला स्थल पर धान की फसल, कैसे होगा आयोजन
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर कार्तिक पूर्णिमा मेले पशुओं का मेला भी आयोजित किया जाता है। इस
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर
कार्तिक पूर्णिमा मेले पशुओं का मेला भी आयोजित किया जाता है। इस मेले में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, मेरठ, बरेली, लखनऊ आदि स्थानों से बड़ी संख्या में पशुओं के छोटे-बड़े व्यापारी पशुओं की खरीददारी और बिक्री करते हैं। मुख्य मेले से लगभग एक किलो मीटर दूरी पर लगने वाले इस मेले का आयोजन भी जिला पंचायत द्वारा किया जाता है।
इस बार कार्तिक मेले में मुख्य स्नान तीन नवंबर की रात बारह बजे से शुरू होगा। मेले की तैयारियों को लेकर समय-समय पर अधिकारियों द्वारा मेला स्थल का निरीक्षण भी किया जा रहा है। अधिकारी मेला स्थल पर निरीक्षण करने आते हैं और मात्र मुख्य मेला स्थल का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश देकर लौट जाते हैं। यही कारण है कि जिस स्थान पर पशु मेले का आयोजन होना है वहां अभी धान की फसल खड़ी है। दीपावली के बाद मेले में पशु व्यापारियों का आना शुरू हो जाएगा। दीपावली में केवल दो दिन का समय शेष बचा है और मेला स्थल पर धान की फसल खड़ी है। इस परिस्थिति में व्यापारी और पशु कहां अपना ठिकाना बनाएंगे यह विचारणीय प्रश्न है। इसके अलावा इस स्थाना पर अभी घाटों का भी निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
गहरा पानी कहीं ले न ले किसी की जान : पशु मेले में इस बार जिला पंचायत को घाट बनाने के लिए कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ेगा। पिछले दिनों गंगा ने गढ़ की ओर कटान किया है, जिस कारण इस ओर किनारे के निकट गंगा गहरी हो गई है। घाटों की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां स्नान करना श्रद्धालुओं के लिए कठिनाई भरा होगा। जिला पंचायत द्वारा अभी तक यहां कार्य शुरू नहीं किए जाने से अधिकारियों की लापरवाही साफ उजागर हो रही है।
मुख्य मेले के साथ पशु मेले की भी तैयारी शुरू हो गई है। दोनों मेलों की सड़कों के निर्माण कार्य शुरू कराए जा चुके हैं, शीघ्र ही सड़क बनाने का कार्य पूरा किया जाएगा। जबकि मेला स्थल पर खड़ी धान की फसल को काटने के आदेश दिए गए है, शीघ्र ही फसल कट जाएगी।
- मीनू राणा, मेला अधिकारी एवं उपजिलाधिकारी