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3.51 लाख पशुओं के लगेंगे गलघोटू से बचाव के टीके

जागरण संवाददाता, हापुड़: जिले के 3.51 लाख गाय और भैंसों का गलघोटू बीमारी से बचाव के लिए निशुल्क टीक

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 01:00 AM (IST)
3.51 लाख पशुओं के लगेंगे गलघोटू से बचाव  के टीके
3.51 लाख पशुओं के लगेंगे गलघोटू से बचाव के टीके

जागरण संवाददाता, हापुड़:

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जिले के 3.51 लाख गाय और भैंसों का गलघोटू बीमारी से बचाव के लिए निशुल्क टीकाकरण कराया जाएगा। इसके लिए 12 टीमों का गठन किया गया है। जिले के चारों ब्लाकों में तीन-तीन टीमों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

पशुओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला प्रमुख जीवाणु रोग गलघोटू है इससे ग्रसित पशु की मृत्यु होने की संभावना अधिक होती है यह रोग Þपास्चुरेला मल्टोसीडाÞ नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। सामान्य रूप से यह जीवाणु श्वास तंत्र के ऊपरी भाग में मौजूद होता है एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के दबाव में जैसे की मौसम परिवर्तन, वर्षा ऋतु, सर्द ऋतु , कुपोषण, लम्बी यात्रा, मुंह खुर रोग की महामारी एवं कार्य की अधिकता से पशु को संक्रमण में जकड़ लेता है। यह रोग अति तीव्र एवं तीव्र दोनों का प्रकार संक्रमण पैदा कर सकता है। गलघोटू बीमारी से पशुओं की मौत न हो इसके लिए पशुपालन विभाग की 12 टीमों को जिले में तैनात किया गया, ताकि गलघोटू बीमारी से पशुओं को बचाया जा सके।

गलघोटू के लक्ष्ण

-पशु को तेज बुखार आना, एक घंटे से लेकर 24 घंटे के अन्दर मृत्यु होना

-नाक से स्त्राव बहना एवं सांस लेने में तकलीफ होना, आंखें लाल होना

-चारा खाना बंद करना एवं सुस्त होना

-गले,गर्दन एवं छाती पर दर्द के साथ सूजन आना

क्या है उपचार

यदि पशु चिकित्सक समय पर उपचार शुरू कर देता है, तब भी इस जानलेवा रोग से बचाव की दर कम है। सल्फाडीमीडीन, ओक्सीटेट्रासाईक्लीन एवं क्लोरम फेनीकोल जैसे एंटी बायोटिक इस रोग के खिलाफ कारगर हैं। इनके साथ अन्य जीवन रक्षक दवाइया भी पशु को ठीक करने में मददगार हो सकती हैं इसलिए बचाव सर्वोतम कदम है।

गलघोटू बीमारी की रोकथाम के लिए जिले में चिकित्सकों की 12 टीम तैनात की गई है। प्रत्येक ब्लाक में तीन टीम हैं। जिले में 3.51 लाख दुधारू पशु हैं। टीम के सभी सदस्यों को निर्देशित किया गया है कि टीकाकरण के एक भी पशु न बचे।

डा.वाईपी ¨सह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।


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