आदर्श गुरु हैं तो उत्तम शिष्य भी
हापुड़ : शिक्षक दिवस पर अपने प्रिय शिक्षक अथवा आज्ञाकारी शिष्य की याद बरबस ही आने लगती है। कहते हैं क
हापुड़ : शिक्षक दिवस पर अपने प्रिय शिक्षक अथवा आज्ञाकारी शिष्य की याद बरबस ही आने लगती है। कहते हैं कि शिष्य अगर देश का भविष्य हैं तो गुरु भी युग निर्माता है। हालांकि अब गुरु शिष्य परंपरा में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। लेकिन समाज में आज भी आदर्श गुरु मौजूद हैं तो उत्तम शिष्यों की भी कमी नहीं है। आज हम ऐसे ही एक शिक्षक की बात कर रहे हैं जिन्होंने बिना किसी लालच व भेदभाव के बीते इक्कीस साल से शिक्षा का दीपक जला रखा है। हम बात कर रहे हैं गांव फगौता निवासी जनक ¨सह सिसौदिया की। 45 वर्ष की आयु वाले जनक ¨सह बताते हैं कि उनके द्वारा पढ़ाये गये युवा आज सीए, एमबीबीएस, इंजीनियर आदि बन गये हैं। कई अधिकारी हैं तो कोई कहीं कर्मचारी हैं। उन्हें देखकर या उनके बारे में सुनकर उनका सीना फº से चौड़ा हो जाता है। वे तहसील क्षेत्र के ही गांव तिसौली खेडा में महादेव शिशु विद्या मंदिर में शिक्षण करते हैं साथ ही प्रधानाचार्य का कार्यभार भी संभालते हैं। वे गणित विषय के अध्यापक होने के कारण भी बच्चों के बीच खासे चहेते हैं।
वे बताते हैं जब वे पढ़ते थे और अब वे पढ़ाते हैं तब गुरु शिष्य के बीच के रिश्तों में गिरावट आयी है। शिक्षा का व्यवसायीकरण समाज व अध्यापकों की बदलती सोच इसके लिये जिम्मेदार है। लेकिन उनका मानना है कि सभी एक समान नहीं हैं आज भी अच्छे अध्यापक मौजूद हैं तो ¨चतनशील व गुरुओं का सम्मान करने वाले छात्र भी हैं। वे बताते हैं कि उनके पठन व पाठन के जीवन में उन्होंने एक बात अवश्य देखी है कि जिस शिष्य ने गुरु का अपमान किया हो वह कभी कामयाबी के शिखर पर नहीं पहुंच पाया है। वहीं जिस गुरु ने शिक्षण कार्य के दौरान द्वेषभाव रखा है। वह कभी सम्मान नहीं पा सका है। वे अभी शिक्षा के क्षेत्र में और भी बदलाव की बात करते हैं। वे कहते हैं केवल गुरु ही सम्मानित नहीं है अगर गुरु ने शिष्यों को तराशा है तो शिष्यों ने भी अपनी मेहनत के बल पर गुरुओं के नाम रोशन किये हैं। इसलिये सभी समाज के बीच दोनों ही बराबर सम्मान योग्य हैं।