कांपते हाथों से लिखी लोकतंत्र की तकदीर
संवाद सहयोगी, भरुआ सुमेरपुर : वोट की कीमत उन लोगों से पूछिए जो गुलाम भारत में जन्म लिए थे। जनता को म
संवाद सहयोगी, भरुआ सुमेरपुर : वोट की कीमत उन लोगों से पूछिए जो गुलाम भारत में जन्म लिए थे। जनता को मतदान का अधिकार दिलाने के लिए न जाने कितने शहीदों ने अपनी जान न्योछावर की। यही कारण है कि जीवन के 90 से अधिक बसंत देख चुकीं वृद्धाओं का हौसला कतई नहीं डिगा और उन्होंने कांपते हाथों से लोकतंत्र की तकदीर लिख डाली।
सुमेरपुर के एक गांव में 90 वर्षीय चौबी, 92 वर्षीय पच्ची, 95 वर्ष की बिटुलिया जब मतदान केंद्र पर लाठी का सहारा लेकर पहुंची तो वह पुलिस वाले भी अवाक रह गए जो ड्यूटी के दौरान सुस्ताने लगे थे। इन लोगों ने बड़े उत्साह के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 95 वर्ष की बिटुलिया ने बताया कि हम लोगों ने तो अंग्रेजों की तानाशाही देखी है। आजादी मिलने के बाद जनता को वोट डालने का अधिकार मिला है। लोगों को अपने इस अधिकार का प्रयोग जरूर करना चाहिए। ऐसे ही कई मतदान केंद्रों पर बुजुर्ग जो कि चलने-फिरने में असमर्थ थे, लेकिन लाठी या किसी का सहारा लेकर मतदान केंद्रों पर पहुंचे।