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योजना की कहानी 6 ली. दूध, 9 ली. पानी

राठ, (हमीरपुर), संवाद सहयोगी: पानी में दूध या दूध में पानी, पता नहीं लेकिन विकासखंड गोहांड के चिल्ली

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 01:02 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 01:02 AM (IST)
योजना की कहानी 6 ली. दूध, 9 ली. पानी

राठ, (हमीरपुर), संवाद सहयोगी: पानी में दूध या दूध में पानी, पता नहीं लेकिन विकासखंड गोहांड के चिल्ली गांव में प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को बुधवार के दिन जो दूध मिला उसे देख कुछ यही दुविधा हुई। दूध तो दूर विद्यालय के सभी छात्रों को मात्र आधा किलो बेसन में लौकी के कोफ्ता बनाकर परोसे जाते हैं। जब बच्चे इनकी शिकायत प्रधानाध्यापिका से करते हैं तो उन पर वह झल्ला जाती हैं और बच्चे मन-मसोस कर रह जाते है।

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चुस्त-दुरुस्त और दिमागदार बनाने के लिए अखिलेश सरकार ने परिषदीय विद्यालयों के मेन्यू में बुधवार को प्रत्येक छात्र को 200 मिली. दूध देने का प्रावधान रखा। जिससे बच्चों की संख्या में इजाफा भी हो सके। मगर जब प्रधानाध्यापिका की मनमर्जी चले और बच्चों को शुद्व दूध नही मिले तो बच्चों का दिमाग क्या खाक बढ़ेगा। दूध में पानी की मात्रा डेढ़ गुना मिलाकर बच्चों को दिया जाता है। ऐसा हम नही खुद छात्र व स्कूल के अध्यक्ष कहते हैं। जब विद्यालय की हकीकत जानने के लिए सुबह 9.40 बजे दैनिक जागरण की टीम चिल्ली गांव के प्राथमिक विद्यालय पहुंची,तो प्रधानाध्यापिका अवनि गुप्ता कहीं नजर नही आईं। बरामदा में बेतरतीब बैठे छात्र पढ़ाई कर रहे थे। टीम के विद्यालय पहुंचने पर वह आईं तो बताया कि विद्यालय में 97 बच्चे पंजीकृत है और 63 बच्चों की उपस्थिति है। सहायिका केश कुमारी और मनोज कुमार बच्चों को पढ़ा रहे थे। रसोईया कैलाश रानी और श्यामली ने बताया कि बुधवार है आज बच्चों को कोफ्ता की सब्जी व दूध दिया जाता है। दूध के बारे में बताया कि 6 ली. दूध और नौ लीटर पानी मिलाकर दिया गया जिसे गर्म करने पर बच्चों को देंगे। पानी की अधिक मात्रा होने पर विद्यालय अध्यक्ष दयाशंकर ने बताया कि प्रधानाध्यापिका की मनमर्जी चलती है। वहीं 63 बच्चों के लिए मात्र आधा किलो बेसन में लौकी के कोफ्ता बनाए जा रहे थे।

इधर प्रधानाध्यापिका कक्ष में कंडों का ढेर लगा हुआ था। कक्षा पांच के स्वराज, इरफान, रमाकांत, कक्षा तीन के अश्विन व कक्षा दो के कपिल ने बताया कि घर से कटोरी लाकर दूध पीते है लेकिन दूध में पानी नहीं बल्कि पानी में दूध डालकर दिया जाता है जो अच्छा भी नही लगता। प्रधानाध्यापिका अवनि गुप्ता का कहना है कि जितना शासन से पैसा मिलता है वह बच्चों पर खर्च देती हूं।


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