समय से खाद न मिलने से गिरेगा फसलों का उत्पादन
महोबा,जागरण संवाददाता : विभाग की गलतियों से समय से खाद नहीं मिल पाई। इसका सीधा असर उत्पाद की कमी के
महोबा,जागरण संवाददाता : विभाग की गलतियों से समय से खाद नहीं मिल पाई। इसका सीधा असर उत्पाद की कमी के रूप में आएगा। खास बात यह कि पूरी मेहनत के बाद भी उपज कम जाने से होने वाली क्षति के लिए किसान को कुछ भी नहीं मिलता। बेचारे किसान मन मार कर अपनी किस्मत को कोसते रह जाते हैं।
दिसंबर में जब गेहू व अन्य जिन्स के लिए यूरिया की जरूरत थी एकाएक खाद का क्रत्रिम संकट पैदा हो गया। किसान यूरिया के लिए दर दर भटकते रहे और खाद न मिलने से मन मार कर बैठ गए। सगुनिया के रामाधार, जगन्नाथ, महेश आदि कहते है एक सप्ताह चक्कर काटने के बाद भी खाद नहीं मिली । इससे बेहतर उत्पादन लेने की उम्मीद टूट गई है। यही बात श्रीनगर के रामकुमार, देवेंद्र व विश्वनाथ बताते है कि सरकार इंतजाम नहीं कर पाती तो भरोसा क्यों दिलाती है। यह दर्द केवल इनका नहीं जिले के हजारों किसान कृत्रिम यूरिया संकट के शिकार हुए है। खास बात यह कि इससे उत्पादन में कमी आने से किसान की लागत तक नहीं निकल पाती बावजूद इसके विभाग की इस कमी के लिए किसान को कोई क्षति पूर्ति भी नहीं मिलती। कहने को फसल बीमा होता है पर उसके लिए बीमा की राशि पा लेना जंग जीतने से कम नहीं। विभाग के नियमों के भंवर जाल में फंसे किसान पाते कुछ नहीं बस अपनी किस्मत को कोश मन मार कर रह जाते हैं।
..खाद न मिलने से फसल का अपेक्षित उत्पादन नहीं मिल पाता पर यहां सभी को विलंब से सही खाद मिल गई है। इस कारण उत्पादन में कमी आने की उम्मीद नहीं है। फसल बीमा या मुआवजा फसल के उत्पादन के आधार पर नहीं दैवीय आपदा के कारण बोई गई फसल के पचास फीसदी से अधिक नष्ट होने पर मिलता है। खाद न मिल पाने से उत्पादन कम होने के कारण नहीं।
आरपी चौधरी
उप निदेशक, कृषि