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मोती बीए के गीत के माध्यम से मतदान की अपील

गोरखपुर : साहित्यकार अरुणेश नीरन ने कहा कि मोतीलाल उपाध्याय उर्फ मोती बीए भोजपुरी के शलाका पुरुष थे,

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 01:41 AM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 01:41 AM (IST)
मोती बीए के गीत के माध्यम से मतदान की अपील
मोती बीए के गीत के माध्यम से मतदान की अपील

गोरखपुर : साहित्यकार अरुणेश नीरन ने कहा कि मोतीलाल उपाध्याय उर्फ मोती बीए भोजपुरी के शलाका पुरुष थे, लेकिन आज उनकी पहचान खो रही है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षो में मोती जी के बोलने की ताकत खो गई थी, उन्होंने 23 जनवरी 2009 को दुनियां से विदा ले लिया और प्रदेश के एक अखबार को छोड़ उनकी मौत किसी के लिए खबर तक नहीं बन सकी। इसका खेद सभी भोजपुरिया समाज व पूर्वाचल को रहेगा।

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साहित्यकार नीरन मोती बीए शोध संस्थान के तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे। नीरन ने कहा कि मोती बीए कालजयी व हमेशा प्रासंगिक रहने वाले कवि, साहित्यकार, पत्रकार, फिल्मकार, सामाजिक कार्यकर्ता व स्वतंत्रता सेनानी थे। चुनाव के बहाने ही उनके द्वारा लिखे गए लोकतंत्र के गरूर कविता के लिए आज इस कार्यक्रम में उन्हें याद किया गया। गोष्ठी की शुरुआत उनके द्वारा लिखी गई कविता लोकतंत्र के गरूर का पद्य्यानुवाद किए गीत से हुई। अध्यक्षता लोहिया पुस्तकालय के सचिव व संस्थान के अध्यक्ष सिद्धार्थप्रिय उपाध्याय ने की। मोती बीए द्वारा लिखी गई विभिन्न कविताओं का पाठ कर लोकतंत्र के इस पर्व में सभी नागरिकों से मतदान करने की अपील की गई। गोष्ठी में डा.रघुवंश मणि त्रिपाठी, सुतोष कुमार मिश्रा, जया द्विवेदी, अमित कुमार चटर्जी, विवेक कुमार, डा.रमेश राय आदि मौजूद रहे।


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